रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने कथित कोयला घोटाले की जांच कर रहे एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इन जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव में काम करने और न्यायिक प्रक्रिया में दखलंदाजी करने का आरोप लगाते हुए, उनके खिलाफ ही जांच की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोयला घोटाले के एक आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए, उनसे यह साफ जाहिर होता है कि जांच एजेंसियां कोर्ट के भीतर ‘सांठगांठ’ कर रही हैं।
बघेल के प्रमुख आरोप:
• न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन: बघेल ने आरोप लगाया कि एक सह-आरोपी का धारा 164 के तहत दर्ज बयान, जो सीलबंद लिफाफे में रहना चाहिए था, उसे खुले तौर पर कोर्ट में पेश किया गया।
• पहले से लिखा बयान: उन्होंने यह भी कहा कि EOW और ACB ने न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए, पहले से टाइप किए गए बयान को पेन ड्राइव में कोर्ट में पेश किया और उसे अभियुक्त का वास्तविक बयान बताया।
• तीखा हमला: पूर्व सीएम ने अपनी बात को पुरजोर तरीके से रखते हुए कहा, “जब फैसला पहले से ही आपके (जांच एजेंसियों) खिलाफ लिखा है, तो आप क्या खाक कोर्ट में सफाई देंगे?” यह बयान जांच एजेंसियों पर उनके गहरे अविश्वास को दर्शाता है।
• एजेंसियों पर जांच की मांग: भूपेश बघेल ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का घोर उल्लंघन और आपराधिक कृत्य है, जिसके लिए इन जांच एजेंसियों के खिलाफ ही जांच होनी चाहिए।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कोयला और शराब घोटाले के मामलों में ईडी की शिकायत पर ACB और EOW ने कई पूर्व मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन मामलों को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस के बीच राजनीतिक टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। बघेल का यह ताजा बयान राज्य की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है।