इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट में दिखे 17 वनभैसे, परखी जाएगी नस्ल की शुद्धता

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट के महाराष्ट्र सीमा से लगे सैंड्रा और माड़ के जंगलों में 17 वन भैंसों का एक झुंड देखा गया है। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में वन भैंसे एक साथ देखे गए हैं।

शुद्ध नस्ल की जांच:

चूंकि छत्तीसगढ़ में इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट ही ऐसा इलाका है जहाँ शुद्ध नस्ल के वन भैंसे बचे हुए हैं, और इसकी सीमा महाराष्ट्र और तेलंगाना से भी लगती है, इसलिए वन विभाग और सीएनबी (भारतीय राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण) मिलकर इन वन भैंसों की शुद्ध नस्ल का डीएनए परीक्षण कराएंगे।

परीक्षण प्रक्रिया:

  • हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) लैब में इन भैंसों के डीएनए की जांच की जाएगी।
  • डीएनए परीक्षण से अनुवांशिकी संबंधी जानकारी प्राप्त कर उनकी नस्ल की शुद्धता का पता लगाया जाएगा।

बैठक और अनुमान:

  • हाल ही में इंद्रावती टाइगर रिजर्व में आयोजित एक समन्वित बैठक में, सीसीएमबी लैब के विशेषज्ञ डॉक्टर संभाषी राव ने छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के वन अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार करने पर चर्चा की।
  • वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में कुल 37 वन भैंसे हैं, जिनमें से 17 इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट में पाए गए हैं। इनमें से इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट में पाए गए 17 भैंसों को सबसे अधिक शुद्ध नस्ल का माना जा रहा है।

यह डीएनए परीक्षण न केवल इन वन भैंसों की नस्ल की शुद्धता का पता लगाने में मदद करेगा, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करेगा।

You May Also Like

More From Author