रायपुर रेल मंडल में RPF जवानों की 18 घंटे ड्यूटी, क्या आप इस आदेश से सहमत है ?

Raipur : रायपुर रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त (SR DSC) रमन कुमार ने आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) के लिए ट्रेन स्कार्टिंग ड्यूटी का एक नया शेड्यूल जारी किया है, जो आरपीएफ जवानों के लिए अत्यधिक लंबी ड्यूटी का कारण बन रहा है। यह शेड्यूल दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के आईजी को भी सूचनार्थ भेजा गया है, लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश है या नहीं, यह अभी सवालों के घेरे में है।

स्कार्टिंग ड्यूटी का शेड्यूल और 18 घंटे की लंबी ड्यूटी

रायपुर रेल मंडल के कमांडेंट रमन कुमार द्वारा 14 सितंबर को जारी आदेश के अनुसार, दुर्ग-विशाखापट्नम वंदेभारत एक्सप्रेस और पुरी-दुर्ग एक्सप्रेस की स्कार्टिंग ड्यूटी के लिए आरपीएफ स्टाफ को 18 घंटे से भी अधिक समय तक काम करना पड़ रहा है। इस आदेश के अनुसार:

  1. सुबह 5:45 बजे दुर्ग से छूटने वाली वंदेभारत एक्सप्रेस की स्कार्टिंग करनी होती है।
  2. सुबह 6:38 बजे मंदिरहसौद पहुंचने के बाद उन्हें पुरी-दुर्ग एक्सप्रेस की स्कार्टिंग करनी पड़ती है, जो सुबह 9:04 बजे महासमुंद से शुरू होती है और 11:55 बजे दुर्ग पहुंचती है।
  3. इसके बाद उन्हें दुर्ग से 4:10 बजे पुनः दुर्ग-पुरी एक्सप्रेस की स्कार्टिंग करनी होती है, जो 6 बजे महासमुंद पहुंचती है।
  4. अंत में रात 9:02 बजे विशाखापट्नम-दुर्ग वंदेभारत एक्सप्रेस को महासमुंद से स्कार्ट करते हुए रात 10:50 बजे दुर्ग पहुंचना होता है।

इस पूरी ड्यूटी का समय सुबह 5:45 बजे से रात 10:50 बजे तक है, यानी करीब 17 घंटे से अधिक की ड्यूटी हो जाती है। इसके अलावा, हथियार लेने और जमा करने में भी समय लगता है, जिससे ड्यूटी 18 घंटे से अधिक की हो जाती है।

अधिकारियों की स्वविवेक पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या रेल मंत्रालय से ऐसी ड्यूटी का आदेश आया है या फिर अधिकारी अपने स्वविवेक से जवानों से इतनी लंबी ड्यूटी करा रहे हैं? क्या ऐसा आदेश मानवीय दृष्टिकोण से सही है? अधिकारियों की ओर से इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है, क्योंकि कमांडेंट और आईजी से संपर्क करने के प्रयास विफल रहे।

आरपीएफ जवानों की मुश्किलें

ट्रेन में स्कार्टिंग करने वाले एक आरपीएफ जवान ने बताया कि 18 घंटे की ड्यूटी करना बेहद कठिन है, खासकर जब जवानों को 30-35 किलो का भारी हथियार, टार्च, वॉकी-टॉकी और अन्य सामान लेकर ट्रेन में स्कार्टिंग करनी पड़ती है। यह केवल ट्रेन में सफर करने जैसा नहीं है, बल्कि हर समय सतर्क रहना होता है।

जवानों को सुबह हथियार इश्यू होते हैं और रात में वापस जमा करने होते हैं। वे अपने घर में परिवार से मिल भी नहीं पाते, क्योंकि जब वे घर पहुंचते हैं, तब तक परिवार सो चुका होता है। जवानों का कहना है कि भले ही उन्हें इस ड्यूटी के लिए यात्रा भत्ता (TA) मिलता है, लेकिन यह भत्ता उस कड़ी मेहनत के बदले संतोषजनक नहीं लगता।

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