नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति, माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इन्हें शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी के नामों से भी जाना जाता है।
पूजा विधि:
- कलश स्थापन: सबसे पहले कलश स्थापित करें और माँ दुर्गा जी का आह्वान करें।
- स्नान: कलश से जल लेकर माँ कालरात्रि की प्रतिमा को स्नान कराएं।
- वस्त्र और आभूषण: माँ को लाल रंग का वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
- पुष्प और फल: गुड़हल या गुलाब के फूल और मौसमी फल अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलित करें: घी या तेल का दीपक जलाएं।
- धूप और नैवेद्य: धूप जलाएं और गुड़, नारियल, और मिठाई का भोग लगाएं।
- आरती: माँ कालरात्रि की आरती उतारें।
- मंत्र: माँ कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें।
कुछ प्रसिद्ध मंत्र:
- ॐ कालरात्र्यै नमः
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः
- या देवी सर्वभूतस्य स्वरूपा रक्ताम्बरा रक्तपायिनी। मुण्डमालिनी महाबलशालिनी शम्भू चण्डी प्रसीद मे॥
पौराणिक कथा:
माँ कालरात्रि का उल्लेख देवी महात्म्य और मार्कण्डेय पुराण में मिलता है। कहा जाता है कि जब देवी दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज का वध कर दिया था, तब उनके शरीर से निकलने वाले रक्त से और भी असुर उत्पन्न होने लगे। इससे क्रोधित होकर देवी काली का रूप धारण किया और रक्तबीज समेत सभी असुरों का नाश कर दिया। इस वजह से माँ कालरात्रि को अंधकार और बुराई पर विजय प्राप्त करने वाली देवी माना जाता है।
माँ कालरात्रि का महत्व:
- अंधकार और भय से मुक्ति: माँ कालरात्रि की पूजा से भक्तों को अंधकार, भय, और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
- कष्टों का नाश: माँ कालरात्रि सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं को दूर करती हैं।
- सिद्धि प्राप्ति: माँ कालरात्रि की पूजा से भक्तों को मनोवांछित फल और सिद्धि प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: माँ कालरात्रि की पूजा से रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
माँ कालरात्रि की उपासना विधि में कुछ खास बातें:
- पूजा करते समय लाल रंग के वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ और सुगंधित रखें।
- पूजा के दौरान ध्यान केंद्रित करें और मन को शांत रखें।
- माँ कालरात्रि के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
निष्कर्ष:
माँ कालरात्रि शक्ति और पराक्रम की देवी हैं। नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।