सिंदूर का भारतीय संस्कृति और परंपरा में बड़ा महत्व है, एक सुहागिन महिला के लिए सिंदूर बेहद अहम है. हिंदू धर्म में सिंदूर को बहुत पवित्र माना जाता है. पति की लंबी आयु के लिए हर दिन अपनी मांग में भरने के लिए जिस सिंदूर का आप प्रयोग करती है. क्या जानती है कैसे और कहां से आया ?
वैसे तो हर दुकान में सिंदूर उपलब्ध होता है और इस बात को हम सब जानते हैं कि सिंदूर चूना हल्दी मरकरी को मिलाने के बाद बनता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंदूर का एक पौधा भी होता है? जी हां सिंदूर का पौधा, जिसे हम इंग्लिश में kumkum Tree या kamila Tree कहते हैं. सिंदूर प्लांट जिसका वैज्ञानिक नाम बिक्सा ओरेलाना है. और इसे रोरी, सिंदूरी, कपीला, कमूद, रेनी, सेरिया आदि नामों से भी जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कम्पिल्लक, रक्तांग रेची, रक्त चूर्णक एवं लैटिन में मालोटस, फिलिपिनेसिस नाम से प्रसिद्ध है।
एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है. मूल रूप से ये सेंट्रल अमेरिका के जंगलों में पाया जाता है. भारत में ये पौधा सिंदूरी औऱ कपीला जैसे नामों से जाना जाता है.
ये एक ऐसा पौधा होता है जिसमें से जो फल निकलते हैं उससे पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर जैसा लाल डाई बनता है. कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं,क्योंकि इसमें से जो रंग निकलता है उससे नेचुरल ही आपके होठों को भी रंग मिल सकता है. आइए जानते हैं सिंदूर के पौधे के बारे में.
बीस से पच्चीस फीट ऊंचे इस वृक्ष में फली गुच्छ के रूप में लगती है। फली का आकार मटर की फली की तरह होता है व शरद ऋतु में वृक्ष फली से लद जाता है। फली के अंदर भाग का आकार भी मटर की फली जैसा होता है जिसमें सरसों के आकार के दाने होते हैं जो लाल रंग के पराग से ढके होते हैं जिसे बिना कुछ मिलाए विशुद्ध सिंदूर, रोरी, कुमकुम की तरह प्रयोग किया जाता है।
कहां पाए जाते है सिंदूर का पौधे?
सिंदूर का यह पौधा साउथ अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में उगाया जाता है, वहीं भारत में यह पौधा महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के कुछ गिने-चुने इलाकों में ही उगाया जाता है. सिंदूर का पौधा आसानी से देखने को नहीं मिलता, इसके 1 पौधे में से एक बार में एक या डेढ़ किलो तक सिंदूर फल निकल सकता है, और इसकी कीमत ₹400 प्रति किलो से ज्यादा की होती है. हालांकि, जिन इलाकों में ये पाया जाता है वहां पर इसकी कीमत थोड़ी कम ही होती है. कमीला का पेड़ 20 से 25 फीट तक ऊंचा होता है यानि अमरूद के पेड़ जितना ही इसके पेड़ का भी फैलाव होता है।
सिंदूर के पौधे से कैसे बनता है सिंदूर?
जानने वाली बात है कि इसके पेड़ से फल से जो बीज निकलते हैं उसे पीसकर सिंदूर बनाया जाता है, क्योंकि यह बिल्कुल प्राकृतिक होता है.इससे कोई नुकसान भी नही होता.कमीला के पेड़ पर फल गुच्छों में लगते हैं जो शुरू में हरे रंग के होते है, लेकिन बाद में यह फल लाल रंग में बदल जाते है उन फल के अंदर ही सिंदूर होता है. वह सिंदूर छोटे-छोटे दानों के आकार में होता है, जिसे पीसकर बिना किसी दूसरी चीजों की मिलावट के सीधे तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है.यह शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही उपयोगी होता है.
इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. इस सिंदूर का इस्तेमाल ना सिर्फ माथे पर लगाने के लिए है बल्कि इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों को लाल रंग देने के लिए भी होता है, यानि कि इसे खाया भी जाता है. कमीला के पेड़ से निकलने वाले संदूर का प्रयोग उच्च श्रेणी की लिपस्टिक बनाने में किया जाता है. इससे दवाईयां भी बनती है.
इससे लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पेंट जैसी कई चीजों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. कमर्शियल यूज में रेड इंक बनाना, पेंट के लिए इस्तेमाल करना, साबुन के लिए इस्तेमाल करना भी शामिल है. रेड डाई का इस्तेमाल जहां-जहां हो सकता है वहां इस पौधे का उपयोग किया जाता है. इस पौधे के फल के रस से निकाले गये तेल का इस्तेमाल चीज, बटर या सूप में भी होता है.
फिलहाल बाज़ार से मिलने वाले सिंदूर में मरकरी सल्फेट होता है. ये आपकी स्किन और बालों दोनों के लिए अच्छा नहीं है. ऐसे में आप इस पौधे के फल को लगाकर सिंदूर बना सकती है. इसके बीजों को पीसकर एयर टाइट बॉक्स में रखें. लेकिन प्रयोग से पहले एक बार स्किन टेस्ट जरूर करें.
कैसे लगाएं सिंदूर के पौधे
इसे लगाने के 2 तरीके हो होते हैं. इसे बीज की मदद से लगाया जा सकता है और दूसरा इसके तैयार पौधे को कलम की मदद से लगाया जा सकता है. सिंदूर का पौधा घर में आसानी से नहीं उग सकता,क्योंकि इसके लिए एक अलग तरह की जलवायु चाहिए। वहीं इसके साथ कुछ ऐसा है कि अगर आप इसके पौधे को ज्यादा पानी या खाद दे दी, तो यह पौधा मर जाएगा और अगर कम दिया तो इसमें फल नहीं आएंगे। कुल मिलाकर इसके लिए आपको काफी सावधानी रखनी होगी।
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