क्या आप सोच सकते हैं कि राजनीति में 7 बार के विधायक रह चुके, प्रदेश की सरकार में दिग्गज मंत्री रह चुके नेता को कोई आम आदमी 5 हजार से अधिक वोटों से हरा सकता हैं। तो जी हां ये कुछ दिन पहले तक असंभव सा लगने वाला कारनामा छत्तीसगढ़ की साजा सीट में हुआ है। जहां बीजेपी ने ईश्वर साहू नामक एक ऐसे चेहरे को भूपेश सरकार के दिग्गज मंत्री रविन्द्र चौबे के सामने उतारा, जिसका कभी भी राजनीति से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था।
रविन्द्र चौबे को हराने वाला ईश्वर साहू हैं कौन-
आपको याद होगा कि बेमेतरा के साजा विधानसभा क्षेत्र के बिरनपुर इलाके में इसी साल सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया था कि एक स्कूल से शुरू हुई ये मारपीट की घटना ने बड़े सांप्रदायिक दंगों का रूप ले लिया था। जिसमें 3 लोगों की मौत हुई थी, उन मृतकों में से ही एक थे भुवनेश्वर साहू, जिनके पिता है ईश्वर साहू। घटना के बाद प्रदेश सरकार उनके परिवार को 10 लाख रूपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी।, जिसे लेने से मृतक के पिता ईश्वर साहू साफ मना कर दिया था। बीजेपी ने इन्हीं ईश्वर साहू को साजा विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी बनाया औऱ दिग्गज नेता रविन्द्र चौबे के सामने लाकर खड़ा दिया।
रविन्द्र चौबे के सामने ईश्वर साहू
इधर रविन्द्र चौबे की बात की जाए और 2013 को छोड़ दिया जाए तो वे सात बार के विधायक रह चुके है। 2018 में आई कांग्रेस सरकार में कृषि विभाग संभालते हुए सरकार के प्रवक्ता भी रहें। बिरनपुर कांड में दिग्गजों का पीड़ितों के पास नहीं पहुंचना भी भारी पड़ा है। जिसके परिणाम स्वरूप रविन्द्र चौबे को एक आम आदमी ने पांच हजार वोटों के अंतर से हरा दिया।
बता दें कि रविंद्र चौबे को 96 हजार 593 मत मिले, तो वहीं ईश्वर साहू को 1 लाख 7 हजार 189 वोट हासिल हुए।
गृहमंत्री अमित शाह ने की थी रैली
छत्तीसगढ़ में सत्ता की रणनीति बनाते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिरनपुर हादसे से पीड़ित पिता ईश्वर साहू को प्रत्याशी बनाया, और उन्हें जीताने के लिए शाह ने बेमेतरा में रैली भी की। यहां रैली के दौरान शाह ने कहा कि ‘ईश्वर साहू सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई का प्रतीक हैं. अगर बीजेपी सत्ता में वापस आती है तो उनके बेटे के हत्यारे को जेल भेजेंगे’ राजनीति के विशेषज्ञों के अनुसार तो साजा सीट पर साम्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दे ने काम किया और इसी से आम आदमी से बीजेपी के प्रत्याशी बने ईश्वर साहू जीत गए। जिसमें उन्हें अपने साहू समाज की भी काफी मदद मिली।
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