मुंगेली: जिला मुख्यालय स्थित स्वास्तिक हेल्थ केयर हॉस्पिटल पर एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता खुशबू गबेल ने दावा किया है कि उनकी जानकारी और सहमति के बिना इस अस्पताल के डॉक्टरों ने उनका गर्भपात कर दिया। महिला का कहना है कि उनके सास-ससुर ने स्वास्थ्य परीक्षण के बहाने धोखा देकर यह कृत्य कराया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुंगेली पुलिस अधीक्षक (SP) गिरिजाशंकर जायसवाल ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
पीड़िता खुशबू गबेल ने बताया कि 28 जुलाई को उनकी सास मोतीमबाई और ससुर सीताराम गबेल ने उन्हें स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बहाने मुंगेली के स्वास्तिक हेल्थ केयर प्राईवेट हॉस्पिटल ले गए। खुशबू का कहना है कि उन्होंने पहले ही तीन-चार महीने की गर्भावस्था में अस्पताल जाने से मना किया था, लेकिन सास-ससुर के दबाव में उन्हें अस्पताल जाना पड़ा।
खुशबू ने बताया कि अस्पताल में पहुंचने पर उन्हें एक किनारे बैठा दिया गया, जबकि उनके सास-ससुर ने डॉक्टर से बात की। इसके बाद उन्हें कुछ इंजेक्शन और दवाइयां दी गईं। अगले दिन, बिना उनकी सहमति या जानकारी के डॉक्टरों ने उनका गर्भपात कर दिया। खुशबू को इस बात का पता तब चला, जब उन्हें ब्लीडिंग होने लगी। उन्होंने जब अपने सास-ससुर से अपने माता-पिता से बात कराने की मांग की, तो उन्हें बताया गया कि उनकी तबियत खराब होने की जानकारी पहले ही दे दी गई है।
29 जुलाई को खुशबू की मां उनसे मिलने अस्पताल आईं, तब खुशबू ने अपनी मां को पूरी घटना के बारे में बताया। इसके बाद खुशबू की मां ने सास से इस कृत्य का कारण पूछा, लेकिन बदले में उन्हें गाली-गलौच का सामना करना पड़ा। 2 अगस्त को खुशबू की मां उन्हें मायके ले जाने के लिए ससुराल आईं, जहां उनके पति ने खुशबू और उनकी मां के साथ जबरन मारपीट की।
अस्पताल का पक्ष: मिसकैरेज होने की स्थिति में किया गया अबॉर्शन
स्वास्तिक हेल्थ केयर के डॉक्टर जितेंद्र साहू ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि महिला के सोनोग्राफी रिपोर्ट के आधार पर यह पता चला था कि गर्भस्थ शिशु का मूवमेंट नहीं हो रहा था और मिसकैरेज की स्थिति थी। डॉक्टरों ने मरीज और उनके परिजनों की सहमति के बाद ही अबॉर्शन किया। हालांकि, इस दावे की जांच की आवश्यकता है।
जांच के आदेश और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन
मुंगेली पुलिस अधीक्षक गिरिजाशंकर जायसवाल ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सवालों के घेरे में स्वास्तिक हेल्थ केयर हॉस्पिटल
स्वास्तिक हेल्थ केयर हॉस्पिटल, जो लगभग एक साल पहले ही खोला गया था, पहले भी अव्यवस्था के कारण चर्चा में रहा है। अस्पताल की अव्यवस्थाओं के चलते स्वास्थ्य विभाग ने इसके ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया था। हालांकि, बाद में इसे कैसे खोला गया, यह स्पष्ट नहीं है। अस्पताल का लाइसेंस भी जांच के दायरे में है, क्योंकि ऑपरेशन थियेटर की सीलिंग के समय परमानेंट लाइसेंस जारी नहीं हुआ था।
अगर अस्पताल ने परमानेंट लाइसेंस नहीं प्राप्त किया है, तो यह गंभीर मामला बनता है कि आईपीडी मरीजों को भर्ती कर उनके इलाज कैसे किया जा रहा है। इस संदर्भ में, बिना सहमति के गर्भपात करने का मामला गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस और प्रशासन को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कड़ी कार्रवाई करनी होगी ताकि भविष्य में कोई भी अस्पताल अवैधानिक कृत्यों से डरें।