रायपुर: छत्तीसगढ़ की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रहीं सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला लेवी मामले में शर्तों के साथ जमानत दे दी है। यह जमानत उन्हें लगभग एक साल और नौ महीने हिरासत में रहने के बाद मिली है। हालांकि, एक अन्य मामले के चलते सौम्या चौरसिया अभी जेल में ही रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।
कोयला लेवी मामला और गिरफ्तारी
दिसंबर 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौम्या चौरसिया को मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा के तहत गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने राज्य में कोयला लेवी घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद से ही चौरसिया रायपुर की सेंट्रल जेल में कैद हैं। इस मामले में उन्हें लंबी जांच और सुनवाई का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ जमानत दी है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और फैसले का विवरण
सुप्रीम कोर्ट में सौम्या चौरसिया की याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ में सुनवाई हुई। चौरसिया की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने अदालत के सामने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल ने लगभग एक साल और नौ महीने हिरासत में बिताए हैं, लेकिन इस दौरान मुकदमा शुरू नहीं हुआ है और उन्हें एक बार भी रिहाई का अवसर नहीं मिला। साथ ही, उनके मामले से जुड़े तीन सह-आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
एडवोकेट दवे ने अदालत से आग्रह किया कि चौरसिया को भी समान राहत दी जानी चाहिए, क्योंकि अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और उनका मामला भी लगभग वैसा ही है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने मामले को लंबा खींचा है और अब तक मुकदमे की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। ऐसे में, उन्हें जमानत देने का आधार मजबूत है।
ईडी का पक्ष और तर्क
मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अदालत में अपना पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि सौम्या चौरसिया एक सिविल सेवक थीं और इस नाते वह जनता की ट्रस्टी थीं। उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है। एएसजी ने यह भी कहा कि तीन सह-आरोपियों को जमानत मिलने के बावजूद, चौरसिया का मामला उनसे अलग है, और उन्हें जमानत देने से पहले विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है।
एएसजी ने इस पर भी जोर दिया कि चौरसिया को जमानत मिलने से जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि वह एक महत्वपूर्ण पद पर थीं और उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया जाए, ताकि वे मामले की और जांच कर सकें।
भ्रष्टाचार के अन्य आरोप और जेल में रहना जारी
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चौरसिया को शर्तों के साथ जमानत दी है, लेकिन उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जाएगा। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य के आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने चौरसिया पर भ्रष्टाचार का अपराध दर्ज किया है। इस लिहाज से वह अभी भी जेल में ही रहेंगी, क्योंकि यह मामला अभी भी अदालत में लंबित है और इसमें भी सुनवाई की जानी बाकी है।
ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज इस मामले में चौरसिया पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया और निजी लाभ कमाया। चौरसिया पर लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह मामला भी लंबी जांच और सुनवाई का विषय बना हुआ है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए जमानत के बावजूद, वह फिलहाल रिहा नहीं हो पाएंगी।
न्यायिक प्रक्रिया और आगे की संभावनाएं
सौम्या चौरसिया का मामला अब न्यायिक प्रक्रिया के अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, जहां ईडी और ईओडब्ल्यू दोनों के आरोपों पर विस्तृत सुनवाई की जाएगी। इस मामले में न्यायालय ने पहले ही चौरसिया के जमानत पर रिहा होने के बावजूद उन्हें जेल में रखने का निर्णय लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस मामले में आगे की न्यायिक प्रक्रिया लंबी हो सकती है।