हाईकोर्ट का अहम फैसला: नाजायज संतान को भी मिल सकेगी अनुकंपा नियुक्ति

Bilaspur : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र है, तब भी उसे अनुकंपा नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का अधिकार होगा। जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को आर्थिक अभाव और गरीबी से बचाना है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक बार हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 16 के तहत विवाह के दौरान जन्मे बच्चे को वैध माना गया है, तो उसे अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करना अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा।

यह मामला एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) में कार्यरत गार्ड मुनिराम कुर्रे की 25 मार्च 2004 को मृत्यु के बाद उनके आश्रितों की नियुक्ति से संबंधित है। मुनिराम की मृत्यु के बाद ग्रेच्युटी नामांकन फॉर्म में सुशीला कुर्रे का नाम था जबकि पेंशन नामांकन फॉर्म में विमला कुर्रे का नाम दर्ज था। विमला कुर्रे से मुनिराम के चार बेटियां और एक बेटा, विक्रांत लाल हैं, जो इस मामले में याचिकाकर्ता हैं।

याचिकाकर्ता विक्रांत ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, जिस पर कोरबा के प्रथम सिविल जज वर्ग एक की अदालत ने मुनिराम के भविष्य निधि और ग्रेच्युटी की राशि को विक्रांत, उसकी मां विमला और बहनों के पक्ष में वितरित करने का आदेश दिया। इसके बाद सुशीला कुर्रे ने इस आदेश को चुनौती दी, लेकिन दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद उन्होंने अपना आवेदन वापस ले लिया।

कोर्ट ने 6 मार्च 2006 को आदेश जारी करते हुए विक्रांत और उसकी मां विमला को मुनिराम का उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बावजूद एसईसीएल प्रबंधन ने विक्रांत की अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मुनिराम ने अपनी पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी की थी, जो अवैध है, इसलिए विक्रांत अनुकंपा नियुक्ति का हकदार नहीं है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में एसईसीएल के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि उत्तराधिकार न्यायालय पहले ही यह तय कर चुका है कि विक्रांत, मुनिराम कुर्रे का पुत्र है और उसकी मां विमला, मुनिराम की पत्नी है। इसलिए उत्तराधिकार न्यायालय का यह आदेश अंतिम और बाध्यकारी है। हाईकोर्ट ने एसईसीएल प्रबंधन को निर्देश दिया कि आदेश की प्रति प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर विक्रांत को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी की जाए।

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