Dussehra Special: लंकापति रावण से जुड़ी कई मिथक और मान्यताएं आज भी देश-विदेश में प्रचलित हैं। कहा जाता है कि रावण ने अपनी पत्नी मंदोदरी के साथ जोधपुर के मंडोर में विवाह किया था, और जोधपुर उनके ससुराल के रूप में जाना जाता है। यह भी कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद, उसके कुछ वंशज यहीं बस गए थे। जोधपुर के गोधा श्रीमाली ब्राह्मण समुदाय के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं, और दशहरे पर रावण दहन के समय शोक मनाते हैं।
इस परंपरा के अनुसार, दशहरे के दिन यह समुदाय स्नान करता है, जनेऊ बदलता है, और भगवान शिव एवं रावण की पूजा करता है। कहा जाता है कि जब श्रीराम ने रावण का वध किया, तो उसके वंशज जोधपुर आए और वहीं बस गए। आज भी यह लोग रावण की कुल देवी की पूजा करते हैं, और रावण का एक मंदिर भी बनवाया है, जो जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले के पास स्थित है।
रावण के वंशजों का कहना है कि रावण के दाह संस्कार के बाद स्नान करना अनिवार्य होता है। पुराने समय में यह स्नान जलाशयों में किया जाता था, लेकिन आजकल इसे घर के बाहर किया जाता है। इसके बाद पवित्र धागा (जनेऊ) बदला जाता है और मंदिर में रावण और शिव की पूजा की जाती है।