हाल ही में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली के एक सैलून में जाकर नाई अजीत की समस्याओं को सुना। इस बातचीत में अजीत ने बताया कि वह दिन-रात काम करते हैं लेकिन अंत में उनकी बचत शून्य रहती है। उनके द्वारा कहा गया वाक्य, “कुछ नहीं बचता है,” वर्तमान भारत के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की स्थिति को बखूबी दर्शाता है।
राहुल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस वीडियो को साझा करते हुए लिखा कि ये शब्द केवल अजीत की कहानी नहीं हैं, बल्कि ये हर मेहनती भारतीय की कहानी हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई और घटती आमदनी ने श्रमिकों के सपनों को चुराने का काम किया है। इससे नाई, मोची, कुम्हार और बढ़ई जैसे कई लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी मेहनत का सही मूल्यांकन नहीं हो रहा है।
इस वीडियो ने राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं को जन्म दिया है, और इससे लोगों में एक नई जागरूकता भी आई है। राहुल गांधी ने जोर दिया कि ऐसे श्रमिकों के लिए नई नीतियों और योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि उनकी आय में सुधार हो सके और वे अपनी ज़िंदगी में सम्मान और आत्म-सम्मान हासिल कर सकें।
सैलून में राहुल का यह दौरा न केवल लोगों के लिए एक प्रेरणा बना, बल्कि इसके बाद वहां ग्राहकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो इस घटना के महत्व को दर्शाता है।