रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड में शामिल और 20 लाख की इनामी नक्सली मंजुला उर्फ निर्मला ने आज तेलंगाना के वारंगल में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। मंजुला ने वारंगल पुलिस कमिश्नर के पास जाकर खुद को कानून के हवाले कर दिया।
मंजुला कुख्यात नक्सली नेता कोडी कुमार स्वामी उर्फ आनंद और कोडी वेंकन्ना उर्फ गोपन्ना की बहन है। वह दंडकरण स्पेशल जोनल कमिटी और साउथ सब डिविजन ब्यूरो की सक्रिय सदस्य रही है। 1994 में माओवादी संगठन में शामिल हुई मंजुला ने 15 नवंबर 2024 को नक्सलवाद का रास्ता छोड़ आत्मसमर्पण किया।
25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में नक्सलियों ने राज्य का सबसे भयावह राजनीतिक हमला किया था। इस हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, और उदय मुदलियार सहित 30 कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या कर दी गई थी।
यह घटना राज्य की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर सवालिया निशान बनकर उभरी। हमले के बाद से भाजपा और कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में इस मामले की जांच जारी रही, लेकिन अपराधियों और इसके पीछे के रहस्यों का अब तक पर्दाफाश नहीं हो सका है।
इस जघन्य हत्याकांड की जांच के लिए विभिन्न एजेंसियों और विभागों ने प्रयास किए। सुरक्षा में चूक और आपराधिक कृत्य की बारीकी से जांच की गई। केंद्र सरकार ने घटना के दो दिन बाद, 27 मई 2013 को इस मामले की जिम्मेदारी एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दी।
हालांकि, एनआईए और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले में ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकीं। झीरम घाटी कांड आज भी अनसुलझी पहेली बना हुआ है। मंजुला के आत्मसमर्पण के बाद उम्मीद की जा रही है कि हत्याकांड से जुड़े कुछ नए तथ्य सामने आ सकते हैं।