Lormi : अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) में एक 4 वर्षीय बाघिन की संदिग्ध हालत में मौत का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने झाड़ियों के पास मृत बाघिन को देखा और वन विभाग को सूचना दी। अधिकारियों ने मौत की वजह आपसी संघर्ष होने की आशंका जताई है। फिलहाल, पोस्टमार्टम के बाद बाघिन का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, और मौत के स्पष्ट कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद चलेगा।
घटना का विवरण
वन परिक्षेत्र लमनी के चिरहट्टा बिरारपानी इलाके में ग्रामीणों ने मृत बाघिन को देखा। इसके बाद सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। ATR के डिप्टी डायरेक्टर यू.आर. गणेश ने बताया कि डॉक्टरों की प्रारंभिक जांच में बाघिन की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई लगती है। गर्दन पर दांत के निशान, श्वासनली फटी हुई, फेफड़े सिकुड़े हुए, और पूरे शरीर पर खरोंच के निशान पाए गए।
NTCA के दिशा-निर्देशों के तहत कार्यवाही
24 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के SOP के अनुसार, डॉक्टर पी.के. चंदन और मुंगेली जिले के शासकीय पशु चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम किया। NTCA के प्रतिनिधि और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर के प्रतिनिधि की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
वन्यजीव सुरक्षा पर सवाल
बाघिन की मौत ने ATR में वन्यजीव सुरक्षा की खामियों को उजागर कर दिया है। जंगल की निगरानी और सुरक्षा का जिम्मा अधिकतर निचले स्तर के स्टाफ के भरोसे है। उच्च अधिकारी शाम ढलने से पहले जंगल छोड़ देते हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो जाती है।
बाघ संरक्षण पर करोड़ों का खर्च, फिर भी सुरक्षा अधूरी
ATR में बाघों की संख्या बढ़ाने और उनकी सुरक्षा के लिए राज्य और केंद्र सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है। बावजूद इसके, वन विभाग की लापरवाही के कारण जंगली जानवरों की मौतें हो रही हैं। बाघिन की मौत ने विभाग के बड़े-बड़े दावों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।