Maa Brahmacharini : चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Maa Brahmacharini : चैत्र नवरात्रि 2025 का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या, ध्यान और वैराग्य की देवी मानी जाती हैं। उनकी आराधना से ज्ञान, शांति और संयम की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इनकी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मंदिर को साफ करें।
  2. मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें।
  3. माता को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
  4. हवन में धूप, कपूर, लौंग, सूखे मेवे, मिश्री-मिष्ठान और देसी घी से आहुति दें।
  5. प्रसाद के रूप में सफेद मिठाई, मिश्री और खीर अर्पित करें।
  6. दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  7. पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
  8. अंत में क्षमा प्रार्थना करें और परिवार की सुख-शांति की कामना करें।

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:40 से 05:26
  • प्रातः सन्ध्या: 05:03 से 06:12
  • अभिजित मुहूर्त: 12:01 से 12:50
  • विजय मुहूर्त: 14:30 से 15:19
  • गोधूलि मुहूर्त: 18:37 से 19:00
  • सायाह्न सन्ध्या: 18:38 से 19:48
  • अमृत काल: 07:24 से 08:48
  • निशिता मुहूर्त: 00:02 (अप्रैल 01) से 00:48 (अप्रैल 01)
  • रवि योग: 13:45 से 14:08

मां ब्रह्मचारिणी के प्रिय तत्व

  • भोग: सफेद मिठाई, मिश्री, खीर, फल
  • रंग: सफेद
  • फूल: सफेद पुष्प

मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

“दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”

महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से संयम, धैर्य और आत्मबल की वृद्धि होती है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जो अपने जीवन में साधना, तपस्या और आत्मसंयम को बढ़ाना चाहते हैं। मान्यता है कि माता की आराधना से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और साधकों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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