इंद्रावती नदी सूखने से जल संकट गहराया, सांसद महेश कश्यप ने संसद में उठाया मुद्दा

जगदलपुर। गर्मियों की दस्तक के साथ ही बस्तर की जीवनरेखा मानी जाने वाली इंद्रावती नदी की धारा अब कमजोर पड़ने लगी है। पानी की कमी ने न सिर्फ आमजन को प्रभावित किया है, बल्कि किसानों की फसलों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यही गंभीर स्थिति अब राष्ट्रीय स्तर पर भी गूंजने लगी है।

बस्तर से सांसद महेश कश्यप ने संसद में इस विषय को जोरशोर से उठाया। उन्होंने कहा कि ओडिशा में जोरा नाले का डायवर्सन इंद्रावती नदी के सूखने की बड़ी वजह है। इससे न केवल जगदलपुर शहर, बल्कि आसपास के गांवों में भी जल संकट गहरा गया है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा, जिससे फसलें सूख रही हैं।

केंद्रीय जल मंत्री से की समाधान की मांग

महेश कश्यप ने संसद में मांग की कि केंद्र सरकार इस विषय में हस्तक्षेप कर छत्तीसगढ़ और ओडिशा सरकार के बीच आपसी समाधान कराए। उन्होंने कहा कि अब तक प्रशासन केवल आश्वासन देता रहा है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं हो रही।

जोरा नाले का स्ट्रक्चर बना कारण

गौरतलब है कि ओडिशा सरकार ने केंद्रीय जल मंत्री के निर्देश पर जोरा नाले का स्ट्रक्चर ऊंचा किया था और नदी में जमी रेत को हटाने का काम भी शुरू किया गया। मगर इसका सीधा असर इंद्रावती की जलधारा पर पड़ा। पानी का प्रवाह कम हो गया और नदी में सूखा पड़ने लगा।

किसानों ने किया संघर्ष, अब जगी उम्मीद

इस गंभीर स्थिति से जूझते किसानों ने पहले ही संघर्ष शुरू कर दिया था, लेकिन अब जब सांसद ने संसद में इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर उठाया है, तो उन्हें उम्मीद है कि अब कोई ठोस कदम जरूर उठाया जाएगा।

बस्तर जैसे संवेदनशील और आदिवासी बहुल इलाके में जल संकट की यह स्थिति चिंताजनक है। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इंद्रावती नदी को फिर से जीवन देने का प्रयास करेंगी।

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