खैरागढ़। राजनीति में अक्सर अंदरूनी मतभेद दबे रहते हैं, लेकिन खैरागढ़ में कांग्रेस की अंदरूनी कलह अब पूरी तरह से सतह पर आ गई है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ठाकरे ने पद से इस्तीफा देकर लंबे समय से चल रही संगठनात्मक खींचतान की पुष्टि कर दी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को भेजे अपने पत्र में ठाकरे ने इस्तीफे की वजह “व्यक्तिगत और पारिवारिक कारण” बताई, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे महज एक औपचारिकता माना जा रहा है। असली वजह पार्टी के भीतर बढ़ती गुटबाजी और वर्चस्व की लड़ाई मानी जा रही है।
छुईखदान निवासी गजेंद्र ठाकरे को जब खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले की कमान सौंपी गई थी, तभी से संगठन के भीतर असंतोष के स्वर उठने लगे थे। कोशिशों के बावजूद तीनों क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं किया जा सका। अहम और ईगो की दीवारों ने संगठन को कमजोर कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में एक विवाह समारोह के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच हुई मारपीट की घटना ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। इसके बाद ठाकरे के मन में पद छोड़ने का विचार और मजबूत हो गया।
गजेंद्र ठाकरे का इस्तीफा केवल एक पद का खाली होना नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस संगठन के गहरे संकट का संकेत है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस स्थिति से कैसे निपटता है — क्या संगठन को मजबूत करने कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर अंदरूनी खींचतान पार्टी को और कमजोर करेगी?
