गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। मरवाही वनमंडल में भ्रष्टाचार की एक नई परत सामने आई है, जहां करीब ₹18.27 लाख की फर्जी भुगतान की साज़िश का खुलासा हुआ है। इस घोटाले का भंडाफोड़ किसी और ने नहीं, बल्कि स्वयं उपवनमंडलाधिकारी (SDO) मोहर सिंह मरकाम ने किया है। उन्होंने इस मामले की शिकायत बिलासपुर वनसंरक्षक वृत्त और वनमंडलाधिकारी को पत्र लिखकर की है।
शिकायत के अनुसार, मरवाही रेंज में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के तहत 20% जलसंवर्धन संरचनाओं के रखरखाव कार्य में फर्जी बिल और फोटोग्राफ लगाकर वाउचर तैयार किए गए थे, जिनके जरिए बड़ी राशि निकालने की कोशिश की गई। फर्जीवाड़े में मरवाही परिक्षेत्र अधिकारी (रेंजर) और शाखा के दो बाबू, साथ ही संलग्न अधिकारी (SDO) के संलिप्त होने की आशंका जताई गई है।
हैरानी की बात यह है कि इस फर्जी भुगतान के लिए पेण्ड्रा SDO की डुप्लीकेट सील और फर्जी हस्ताक्षर का उपयोग किया गया था। लेकिन तत्कालीन DFO की सतर्कता से यह वाउचर पहले सत्यापन के लिए SDO कार्यालय भेजे गए, जहां SDO मोहर सिंह ने फर्जीवाड़े को पहचान लिया और भुगतान रोक दिया गया।
नियमों के अनुसार, किसी भी भुगतान की सत्यापन प्रक्रिया केवल मूल SDO ही कर सकते हैं, जबकि यहां अटैच अधिकारी ने यह जिम्मेदारी निभाई, जो कि नियम विरुद्ध है। ऐसे में न केवल अटैच SDO बल्कि मरवाही रेंजर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, क्योंकि उन्होंने बिना कार्य किए ही फर्जी बिल तैयार कर प्रस्तुत किए।
