रायपुर। देश में एक बार फिर कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। पूर्व की तीन लहरों में राज्य ने भारी नुकसान झेला था, जहां 14,205 लोगों की जान गई थी। ऐसे में अब संक्रमण की आशंका को देखते हुए राजधानी रायपुर स्थित मेकाहारा अस्पताल में एक अहम बैठक हुई, जिसमें कोरोना से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की गई।
बैठक में मरीजों के इलाज, दवाओं की उपलब्धता, बेड, ऑक्सीजन, पीपीई किट, सैंपल जांच और अन्य संसाधनों को लेकर गहन चर्चा की गई। निर्णय लिया गया है कि कल से मेकाहारा में अलग से कोरोना OPD शुरू किया जाएगा, जहां संदिग्ध मरीजों की जांच और इलाज किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और लैब टेक्नीशियन तैनात किए जा रहे हैं।
विशेष व्यवस्था होगी लागू
डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी विभागों के प्रमुखों को बैठक में बुलाया गया था और निर्णय लिया गया है कि कोरोना से जुड़े मरीजों का इलाज अलग से किया जाएगा, जिससे अन्य रोगियों को संक्रमण से बचाया जा सके।
डॉ. चौधरी ने बताया कि लेबर वार्ड, ICU और वेंटिलेटर की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। साथ ही, सभी आवश्यक दवाएं और डॉक्टरों के लिए सुरक्षा कीट उपलब्ध हैं। इलाज पुराने कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार ही किया जाएगा।
अलग OPD क्यों जरूरी?
डॉ. चौधरी ने बताया कि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है। मेकाहारा में बड़ी संख्या में अन्य बीमारियों के मरीज भी आते हैं, ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इसीलिए कोरोना के लिए अलग OPD जरूरी है।
सावधानी ही सुरक्षा
बैठक में शामिल डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे अभी से सतर्कता बरतें। भीड़भाड़ से बचें, मास्क का प्रयोग करें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
छत्तीसगढ़ में अभी कोई केस नहीं, फिर भी सतर्कता जरूरी
राज्य कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के अनुसार फिलहाल छत्तीसगढ़ में कोरोना का कोई सक्रिय मामला नहीं है। लेकिन अन्य राज्यों और देशों में बढ़ते केसों को देखते हुए यहां एहतियातन तैयारियां की जा रही हैं। अभी कोरोना प्रोटोकॉल लागू नहीं है, जिससे अंतरराज्यीय यात्राओं में कोई रोक नहीं है और एयरपोर्ट्स पर भी जांच शुरू नहीं हुई है।
तीन लहरों की भयावहता को नहीं भूला छत्तीसगढ़
अब तक राज्य में कोरोना के कुल 11,88,629 केस मिल चुके हैं, जिनमें से 14,205 लोगों की मौत हुई थी। एक लाख से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था, जबकि लगभग 10 लाख मरीजों ने होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना को मात दी थी।