रायपुर नगर निगम में ठेकेदारों का फूटा गुस्सा, 30 करोड़ के भुगतान में देरी पर किया प्रदर्शन

रायपुर। रायपुर नगर निगम में फाइलों की लेटलतीफी और देयकों के अटकने से नाराज़ ठेकेदारों ने सोमवार 17 जून को निगम मुख्यालय में विरोध जताया। नगर निगम ठेकेदार संघ के लगभग 60 सदस्यों ने दोपहर में आयुक्त विश्वदीप से मुलाकात कर भुगतान में हो रही देरी और प्रक्रियात्मक बाधाओं की शिकायत की तथा ज्ञापन सौंपा।

संघ के अध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में ठेकेदारों के लगभग 30 करोड़ रुपये निगम के पास लंबित हैं। निगम की ओर से “फंड की कमी” बताई जा रही है, जबकि राज्य शासन के अधिकारी कहते हैं कि रायपुर निगम को पर्याप्त फंड जारी किया गया है। दोनों पक्षों के कथनों में विरोधाभास के कारण ठेकेदारों में नाराजगी है।

फाइलों की जटिल प्रक्रिया बनी समस्या

ठेकेदारों ने बताया कि एक देयक पास कराने के लिए फाइल को 20 अलग-अलग टेबलों से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे दो दिन का काम 15 दिन से लेकर एक महीने तक खिंच जाता है। यदि इन टेबलों में से कोई भी कर्मचारी नाराज हो गया, तो फाइल आगे नहीं बढ़ती। आयुक्त ने इस मुद्दे पर टेबल कम करने का आश्वासन दिया।

बच्चों का टॉय ट्रेन प्रोजेक्ट भी प्रभावित

नरैया तालाब में बच्चों के लिए शुरू किया गया टॉय ट्रेन प्रोजेक्ट भी भुगतान न होने के चलते ठप हो गया है। जोन 6 के अधिकारियों ने बताया कि कार्य एजेंसी ने बिना फंड के लगातार तीन महीने काम किया, लेकिन भुगतान नहीं मिलने से काम बंद करना पड़ा।

भुगतान की अनुचित कटौती पर नाराजगी

संघ ने आयुक्त का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि उप अभियंता समय पर देयक तैयार नहीं करते। देरी के कारण जब देयक बनते हैं, तो काम में विलंब दर्शाकर राशि काट दी जाती है, जबकि असल देरी निगम की ओर से होती है।

केवल पश्चिम विधानसभा को मिल रहा भुगतान

संघ ने आरोप लगाया कि फिलहाल केवल पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में हो रहे कार्यों का ही भुगतान किया जा रहा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में अधोसंरचना मद, सामान्य मद, खनिज निधि और अन्य योजनाओं के तहत कार्यों का भुगतान डेढ़ साल से लंबित है।

सिंगल ऑडिट पर बनी सहमति

ठेकेदारों की मांग पर आयुक्त ने जोन स्तर और मुख्यालय में अलग-अलग ऑडिट की बजाय एक बार में सिंगल ऑडिट कराने पर सहमति जताई है। इससे कार्यों में पारदर्शिता और गति आने की उम्मीद है।

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