रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSC) ने मिर्गी और सिर में चोट (हेड इंजुरी) के मरीजों को दिए जाने वाले फेनीटोन सोडियम इंजेक्शन की सप्लाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। दिल्ली की सप्लायर कंपनी सिस्टोकेम लेबोरेटरी को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। इंजेक्शन की गुणवत्ता को लेकर सामने आई आपत्तियों के बाद यह कड़ा कदम उठाया गया है।
समाचार पत्रों में फेनीटोन इंजेक्शन के सब-स्टैंडर्ड (गुणवत्ता से कमतर) होने की खबरें प्रकाशित हुई थीं। जांच में सामने आया कि यह इंजेक्शन पावडर के बजाय लिक्विड फार्म में बनाया गया था, जो इंडियन फार्माकोपिया (IP) मानकों के अनुसार अमान्य है। इसका बैच नंबर CPY2503 है, जो 1 मार्च 2025 को बना था और 28 फरवरी 2027 को एक्सपायर होगा।
सख्त चेतावनी और दोबारा जांच के आदेश
CGMSC ने तुरंत अस्पतालों को इंजेक्शन की सप्लाई बंद करने, उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और स्टॉक वापस मंगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, इस इंजेक्शन की दो अन्य NABL प्रमाणित लैब्स में गुणवत्ता की दोबारा जांच करवाई जा रही है। यदि वहां भी इंजेक्शन घटिया पाया गया, तो कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
किन-किन अस्पतालों में हुई थी सप्लाई:
- आंबेडकर अस्पताल
- डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
- सभी जिला अस्पताल
- सभी सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र)
CGMSC की सख्त भूमिका
CGMSC की प्रबंध संचालक पद्ममिनी भोई साहू ने स्पष्ट किया कि कॉर्पोरेशन केवल क्वॉलिटी बेस्ड दवाओं के वितरण पर विश्वास करता है। कंपनी को नोटिस देकर एक सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है। चेतावनी भी दी गई है कि जवाब संतोषजनक न होने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टरों की चिंता:
डॉक्टरों ने इस पर चिंता जताई है कि यह लाइफ सेविंग इंजेक्शन है और इसका घटिया होना मरीजों की जान को जोखिम में डाल सकता है। फेनीटोन इंजेक्शन का इस्तेमाल गंभीर दौरों में, ब्रेन सर्जरी के पहले और बाद, हेड इंजुरी के मामलों और कुछ कार्डियक समस्याओं में भी किया जाता है।