केंद्र सरकार ने लंबे समय से लंबित IDBI बैंक के रणनीतिक विनिवेश को इस वर्ष अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। सरकार और LIC संयुक्त रूप से बैंक में 60.72% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और जल्द ही बिड आमंत्रित की जाएंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “IDBI बैंक में स्टेक सेल अक्टूबर तक फाइनल हो जाएगा।” यह बयान ऐसे समय आया है जब 9 जुलाई को इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप की बैठक में शेयर खरीद समझौते (SPA) के मसौदे पर चर्चा हुई। अब यह मसौदा कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज और वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्री समिति को भेजा जाएगा, जहां से अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है।
कितना स्टेक बेचा जाएगा?
वर्तमान में सरकार के पास 30.48% और LIC के पास 49.24% हिस्सेदारी है। प्रस्ताव के तहत दोनों मिलाकर 60.72% शेयर बेचेंगे। यह सौदा सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
बैंकिंग सेक्टर में बड़ा बदलाव संभव
अगर यह सौदा तय समय पर पूरा होता है, तो यह पहली बड़ी सरकारी बैंक की प्राइवेटाइजेशन डील होगी। इससे भविष्य में अन्य PSU बैंकों के विनिवेश का रास्ता भी खुलेगा। सरकार का उद्देश्य बैंकिंग सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी को चरणबद्ध तरीके से घटाना है।
शेयर बाजार पर असर
IDBI बैंक के निजीकरण की खबरों का असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिला है। 26 जून को जब रणनीतिक निवेश की चर्चा सामने आई थी, तब बैंक के शेयरों में तेजी दर्ज की गई थी। हालांकि, वर्तमान में बैंक का शेयर हल्की गिरावट के साथ ₹99.60 पर कारोबार कर रहा है।
सरकार का लक्ष्य: जुटाने हैं 50,000 करोड़ रुपये
इस रणनीतिक विनिवेश के ज़रिए केंद्र सरकार ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि IDBI बैंक की सफल बिक्री से सरकार के राजस्व और निजीकरण एजेंडे दोनों को गति मिलेगी।