बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में प्रस्तावित रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर जिला प्रशासन ने एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। बोदरी गांव की 11 खसरा नंबर की जमीनों को अधिसूचित क्षेत्र घोषित करते हुए प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जब तक भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक संबंधित भूमि पर किसी भी प्रकार का क्रय-विक्रय, रजिस्ट्री और नामांतरण (म्यूटेशन) प्रतिबंधित रहेगा।
प्रस्तावित रेलवे प्रोजेक्ट से जुड़ी है अधिसूचना
यह अधिसूचना उस भूमि से संबंधित है, जो रेलवे के सड़क निर्माण कार्य से सीधे तौर पर प्रभावित है। प्रशासन ने जिन 11 खसरा नंबरों को अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया है, वे सभी बोदरी गांव में स्थित हैं। इन पर किसी भी प्रकार की दस्तावेजी प्रक्रिया जैसे बिक्री, पंजीयन या म्यूटेशन अब अवैध मानी जाएगी।
प्रभावित किसानों को मिलेगा मुआवजा और पुनर्वास
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि प्रभावित किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा और पुनर्वास पैकेज दिया जाएगा। जिला प्रशासन के अनुसार, अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है, और किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
कलेक्टर का सख्त निर्देश – आदेश का उल्लंघन करने पर होगी कड़ी कार्रवाई
बिलासपुर कलेक्टर ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए साफ कहा है कि यदि कोई व्यक्ति इस प्रतिबंध के बावजूद जमीन का लेन-देन करता है या दस्तावेजी प्रक्रिया को अंजाम देता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर का यह निर्देश स्पष्ट करता है कि प्रशासन इस अधिसूचना को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा।
भूमि पर रोक लगाने का उद्देश्य: पारदर्शी अधिग्रहण प्रक्रिया
विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की अधिसूचना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी रहे और किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी मनीपुलेशन या अनियमितता की संभावना न हो। साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि किसानों को उनकी जमीन का सही मूल्य और लाभ समय पर मिल सके।
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