बिलासपुर। बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे की बदहाल स्थिति को लेकर मंगलवार को उच्च न्यायालय में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट के आदेश पर नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट मैनेजर व्यक्तिगत रूप से सड़क मार्ग से होते हुए अदालत पहुंचे।
कोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने प्रोजेक्ट मैनेजर को निर्देश दिया कि वे 3 सप्ताह के भीतर शपथपत्र दाखिल कर बताएं कि नेशनल हाईवे को कब तक दुरुस्त किया जाएगा।
इससे पहले सोमवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस ने खराब सड़कों की मरम्मत न होने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए प्रोजेक्ट मैनेजर को नोटिस जारी किया था और उन्हें इसी हाईवे से होकर कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था।
राजधानी और न्यायधानी को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे प्रदेश की राजधानी रायपुर और न्यायधानी बिलासपुर को जोड़ने वाली सबसे महत्वपूर्ण सड़क है। इस मार्ग से बस्तर, रायपुर, सरगुजा और आसपास के जिलों के लोग आवाजाही करते हैं। इसके बावजूद नेशनल हाईवे अथॉरिटी सड़क की मरम्मत और रखरखाव में गंभीर लापरवाही बरत रही है।
हादसों का कारण बन रहे स्टॉपर
कोर्ट ने एनएच के वकील से सवाल किया कि आप तो अक्सर रायपुर जाते होंगे, आपने इस सड़क की हालत देखी होगी। अदालत ने कहा कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी जो थोड़ा-बहुत मेंटेनेंस करती है, उसमें भी लापरवाही साफ दिखती है। सड़क पर लगाए गए स्टॉपर बेतरतीब और लावारिस हालत में पड़े हैं, जो हादसों का बड़ा कारण बन रहे हैं।