रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सरकारी अस्पतालों में वितरित नकली और अमानक पैरासिटामोल टैबलेट ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। 9M इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा सप्लाई की गई दवाओं के सेवन से हजारों मरीजों को साइड इफेक्ट्स झेलने पड़े हैं। कई मौतों की आशंका जताई जा रही है, लेकिन अस्पतालों में इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया गया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या गरीब मरीजों की जान की कीमत सिर्फ एक नोटिस भर है?
अमानक दवाओं पर रोक, स्टॉक जब्त
दाऊ कल्याण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल समेत कई सरकारी अस्पतालों में इस कंपनी की दवा सप्लाई की गई थी। केवल एक अस्पताल में ही 30 हजार टैबलेट भेजे गए, जिनमें से 17 हजार से ज्यादा मरीज खा चुके हैं। जांच में तीन बैच अमानक पाए गए, जिसके बाद CGMSC ने आदेश जारी कर स्टॉक को वापस मंगाना शुरू कर दिया है। लेकिन जब तक आदेश आया, तब तक बड़ी संख्या में मरीज प्रभावित हो चुके थे।
मरीजों की आपबीती – “दवा खाने के बाद चक्कर, दाग-धब्बे और एलर्जी”
- पूजा साहू (मरीज) : “बुखार की दवा खाने के बाद चक्कर आने लगे।”
- नरेश साहू (परिजन) : “कई मरीजों के शरीर पर अजीब दाग-धब्बे और एलर्जी हो गई, इंजेक्शन लगवाना पड़ा।”
- एक अन्य मरीज : “एक हफ्ते तक अस्पताल से मिली गोली खाता रहा, बुखार उतरा ही नहीं। बाहर से दवा लाने पर दो-तीन खुराक में ही ठीक हो गया।”
जून से अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं। परिजनों और सूत्रों का दावा है कि नकली दवा से मौतें भी हुईं, लेकिन उनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
विशेषज्ञों की चेतावनी – “ये मौत नहीं, हत्या है”
- इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव राहुल वर्मा ने कहा, “नकली और अमानक दवाएं देने से मरीजों की मौत होना तय है। इसे लापरवाही नहीं, बल्कि हत्या मानना चाहिए। ऐसी कंपनियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।”
- डॉ. राकेश गुप्ता (AHPI छत्तीसगढ़ चैप्टर अध्यक्ष) ने कहा, “कितने लोगों की मौत हुई, कितनों को रिएक्शन हुआ इसकी जांच जरूरी है। पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए और कंपनी को तुरंत ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए।”
स्वास्थ्य विभाग की आधी-अधूरी कार्रवाई
CGMSC ने तीन बैचों पर रोक लगाकर स्टॉक वापस मंगाना शुरू किया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ रोक लगाने से काम नहीं चलेगा, मौतों और गंभीर रिएक्शन की गहन जांच जरूरी है।
9M इंडिया लिमिटेड पर सवाल
रायपुर में 2020 में स्थापित इस फार्मा कंपनी ने सरकारी अस्पतालों को बड़े स्तर पर सप्लाई की। अब इस कंपनी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और मरीज संगठन मांग कर रहे हैं कि—
- प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाए।
- कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
- अमानक दवा से जुड़ी मौतों का सही आंकड़ा सार्वजनिक किया जाए।