मुक्तिधामों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त: चीफ जस्टिस की नाराजगी के बाद सभी कलेक्टरों से फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट तलब

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मुक्तिधामों (श्मशान घाटों) की बदहाली और अव्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। स्वयं चीफ जस्टिस के अचानक मुक्तिधाम के दौरे पर जाने और वहाँ की अव्यवस्था देखने के बाद कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट ने अब राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के मुक्तिधामों की फोटोग्राफ सहित विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।

क्या है पूरा मामला?

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस [जज का नाम, यदि ज्ञात हो] ने हाल ही में [शहर का नाम, यदि ज्ञात हो] के एक मुक्तिधाम का औचक दौरा किया था।

अव्यवस्था देखकर नाराजगी: जस्टिस ने पाया कि मुक्तिधामों में पर्याप्त साफ-सफाई नहीं है, बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है, और अंत्येष्टि के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

न्यायालय की टिप्पणी: चीफ जस्टिस ने कहा कि मुक्तिधाम हर नागरिक के जीवन का अंतिम पड़ाव होता है, और वहाँ की अव्यवस्था अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और गंभीर मामला है।

हाईकोर्ट ने दिए कड़े निर्देश

इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए या जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन को लताड़ लगाई।

1. कलेक्टरों से रिपोर्ट तलब: कोर्ट ने सभी कलेक्टरों को आदेश दिया है कि वे 4 सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करें। इस रिपोर्ट में मुक्तिधामों की वर्तमान स्थिति के फोटोग्राफ, उपलब्ध सुविधाएं, और सुधार के लिए उठाए गए कदमों का विवरण शामिल होना चाहिए।

2. सरकारी अधिकारियों को निर्देश: कोर्ट ने कहा कि मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना प्रशासन का प्राथमिक कर्तव्य है। कोर्ट ने सभी संबंधित सरकारी अधिकारियों को इस विषय पर संवेदनशीलता से काम करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट का यह सख्त कदम उम्मीद जगाता है कि राज्य के सभी श्मशान घाटों की स्थिति में जल्द सुधार होगा और नागरिकों को उनके अंतिम संस्कार के लिए गरिमापूर्ण वातावरण मिल सकेगा।

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