छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर सक्रिय नक्सल विरोधी अभियान को एक अभूतपूर्व सफलता मिली है। भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य और प्रमुख रणनीतिकार मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू दादा (जिन पर 1 करोड़ का इनाम घोषित है) ने अपने 60 माओवादी कैडरों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।इस हाई-प्रोफाइल सरेंडर को सीपीआई (माओवादी) संगठन और छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के माओवादी गढ़ के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।माओवादी विचारधारा और नेतृत्व को क्षति67 वर्षीय वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति के सदस्य थे और उन्हें संगठन का वैचारिक प्रमुख और संचार विशेषज्ञ माना जाता था। तेलंगाना के पेद्दापल्ली जिले के रहने वाले सोनू, मारे गए नक्सली नेता किशनजी के भाई भी हैं।
संगठन में वैचारिक दरार
सूत्रों के अनुसार, सोनू दादा ने कुछ समय पहले एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सशस्त्र संघर्ष बंद करने और शांति वार्ता का संकेत दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर तेजी से हुए नुकसान और वैचारिक मतभेदों के कारण यह कदम उठाया।• अबूझमाड़ कनेक्शन: वेणुगोपाल राव का अबूझमाड़ और दक्षिण बस्तर में गहरा प्रभाव था। उनके आत्मसमर्पण से इस क्षेत्र में माओवादियों के संचार नेटवर्क और लोगों से जुड़ाव को गंभीर क्षति पहुँची है।
बड़ी संख्या में सरेंडर
उनके साथ आत्मसमर्पण करने वालों में केंद्रीय समिति के एक सदस्य और मंडल समिति (Divisional Committee) के 10 सदस्य शामिल हैं।सुरक्षा बलों के दबाव का परिणामयह आत्मसमर्पण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सुरक्षा बलों द्वारा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में चलाए जा रहे सघन नक्सल उन्मूलन अभियानों का परिणाम है। अधिकारियों ने कहा कि लगातार दबाव और नक्सल कैडरों के नुकसान ने शीर्ष नेतृत्व को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया है।इस घटना से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अब नक्सलवाद का हिंसक रास्ता समाप्ति की ओर है, और सरकार की आत्मसमर्पण नीति सफल हो रही है।