ब्रेकिंग: ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ के तहत अमेरिका में अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन, लाखों लोग सड़कों पर उतरे, ट्रंप की नीतियों का हो रहा व्यापक विरोध

वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और कथित ‘सत्तावादी रवैये’ के विरोध में शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 को अमेरिका के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा एकल-दिवसीय विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। ‘नो किंग्स’ (No Kings) आंदोलन के बैनर तले लाखों लोग देश के सभी 50 राज्यों में सड़कों पर उतर आए।

आयोजकों के अनुमान के अनुसार, 2,700 से अधिक स्थानों पर रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए गए, जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लेकर वॉशिंगटन डीसी के पेंसिल्वेनिया एवेन्यू और शिकागो के ग्रांट पार्क तक, हर जगह प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ दिखी।

क्या है ‘नो किंग्स’ प्रोटेस्ट?

‘नो किंग्स’ आंदोलन का नाम 1776 में अमेरिका की स्वतंत्रता और वहां की लोकतांत्रिक नींव पर आधारित है।

अर्थ और संदेश: ‘नो किंग्स’ का सीधा अर्थ है ‘कोई राजा नहीं’। यह आंदोलन इस बात पर जोर देता है कि अमेरिका एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां कोई राजा या निरंकुश शासक (Monarch/Autocrat) नहीं है।

विरोध का कारण: प्रदर्शनकारियों का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का रवैया और उनकी नीतियां देश को तानाशाही (Authoritarianism) की ओर धकेल रही हैं, जो अमेरिकी लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

प्रमुख मांगें: यह प्रदर्शन मुख्य रूप से ट्रंप प्रशासन की कठोर आव्रजन (माइग्रेशन) नीतियों, सरकारी आलोचकों के खिलाफ कार्रवाई, देश के शहरों में नेशनल गार्ड्स की तैनाती, और लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के प्रयासों के विरोध में किया जा रहा है।

दुनियाभर में गूंजी विरोध की आवाज

यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा। आंदोलन के समर्थन में लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर, साथ ही कनाडा और पश्चिमी यूरोप के कई शहरों में भी हजारों लोगों ने रैलियां कीं। प्रदर्शनकारियों ने पीले रंग के परिधान पहने थे और हाथों में तख्तियां थीं जिन पर “No Kings” और “लोकतंत्र खतरे में है” जैसे नारे लिखे थे।

ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी की प्रतिक्रिया

इस विशाल जन-विरोध पर राष्ट्रपति ट्रंप ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी उन्हें ‘राजा’ कह रहे हैं, “लेकिन मैं राजा नहीं हूँ।” वहीं, उनकी रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने इन प्रदर्शनों को “हेट अमेरिका” (Hate America) रैलियां करार दिया है, जबकि आयोजकों का कहना है कि यह प्रदर्शन देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति गहरे प्रेम को दर्शाता है।

इस व्यापक और रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन ने अमेरिका के राजनीतिक माहौल में तनाव को और बढ़ा दिया है, खासकर ऐसे समय में जब देश में बजट को लेकर सरकारी कामकाज ठप (Government Shutdown) है।

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