बाघिन ‘बिजली’ की मौत पर सियासी बवाल: नेता प्रतिपक्ष महंत ने राज्यपाल को लिखा पत्र, इलाज में लापरवाही और अंतिम संस्कार पर चुप्पी को लेकर उठाए गंभीर सवाल!

रायपुर/जामनगर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जंगल सफारी की लोकप्रिय बाघिन ‘बिजली’ की मौत पर अब सियासी भूचाल आ गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस मामले में गंभीर सवाल उठाते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा है। महंत ने आरोप लगाया है कि बाघिन के इलाज में घोर लापरवाही बरती गई और उसकी मौत के बाद अंतिम संस्कार की तस्वीर तक सार्वजनिक नहीं की गई, जो पूरे मामले को संदिग्ध बनाता है।

मामले का सार

8 वर्षीय बाघिन ‘बिजली’ लंबे समय से गर्भाशय और किडनी के संक्रमण से जूझ रही थी।

शिफ्टिंग: 7 अक्टूबर को उसे रायपुर से विशेष ट्रेन कोच के जरिए गुजरात के जामनगर स्थित अनंत अंबानी के ‘वनतारा’ वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर भेजा गया था।

निधन: 10 अक्टूबर को इलाज के दौरान किडनी फेलियर के कारण उसकी मौत हो गई।

महंत के पत्र में मुख्य आरोप

नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने राज्यपाल से तत्काल मामले का संज्ञान लेने और जांच के आदेश देने की मांग की है। उनके प्रमुख आरोप निम्नलिखित हैं:

1. इलाज में देरी और लापरवाही: महंत ने आरोप लगाया कि बाघिन ‘बिजली’ की तबीयत जब खराब हुई, तब केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) से अनुमति लेने में 10 दिन का समय लगा दिया गया। इस विलंब के कारण बाघिन की स्थिति बिगड़ती चली गई और समय पर बेहतर इलाज नहीं मिल सका।

2. अनुचित इलाज केंद्र का चयन: उन्होंने सवाल उठाया कि जब बाघों के इलाज के लिए छत्तीसगढ़ के नजदीक मध्य प्रदेश में विश्वस्तरीय वन्यजीव चिकित्सा केंद्र मौजूद है (जिसे ‘टाइगर स्टेट’ भी कहा जाता है), तो उसे 1,200 किलोमीटर दूर गुजरात के जामनगर क्यों भेजा गया? यह लंबी यात्रा बाघिन की हालत को और बिगाड़ने वाली थी।

3. वन विभाग की विफलता: महंत ने वन विभाग के अफसरों पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि राज्य में वन्यजीवों की मौत के बढ़ते मामलों पर बीजेपी सरकार का वन विभाग पूरी तरह विफल साबित हुआ है।

4. पारदर्शिता का अभाव: सबसे गंभीर सवाल बाघिन के अंतिम संस्कार को लेकर उठाया गया है। महंत ने कहा कि एक लोकप्रिय बाघिन की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार की कोई भी तस्वीर या वीडियो जारी नहीं किया गया, जिससे जंगल सफारी प्रबंधन की मंशा पर संदेह पैदा होता है।

वन विभाग की सफाई

वन विभाग के अधिकारियों ने आरोपों पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बाघिन का उपचार विशेषज्ञों की देखरेख में किया जा रहा था। CZA की मंजूरी के बाद ही उसे वनतारा भेजा गया, जो देश के सबसे आधुनिक रेस्क्यू सेंटरों में से एक है। बाघिन का अंतिम संस्कार भी वनतारा सेंटर में ही वन विभाग की टीम और विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी में प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।

इस मामले में अब राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद जांच और कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।

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