बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में रेलवे परियोजनाओं के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) की प्रक्रिया में एक गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक किसान की याचिका पर सुनवाई करते हुए रेलवे को नोटिस जारी किया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि भू-अर्जन अधिकारी ने किसान द्वारा प्रस्तुत आपत्ति को बिना किसी समुचित सुनवाई के ही निरस्त कर दिया।
यह मामला किसानों के मौलिक अधिकार और प्रशासनिक पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े करता है, खासकर जब रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 20 के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही हो।
क्या है पूरा मामला?
1. याचिकाकर्ता की परेशानी: याचिकाकर्ता प्रदीप अग्रवाल की खेती की जमीन का अधिग्रहण रेलवे द्वारा प्रस्तावित सब-स्टेशन निर्माण के लिए किया जा रहा था। किसान का कहना है कि उनकी आजीविका पूरी तरह इसी जमीन पर निर्भर है।
2. पर्याप्त भूमि का दावा: याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि रेलवे विभाग के पास उसी क्षेत्र में अन्य सरकारी भूमि उपलब्ध है, जिसका उपयोग सब-स्टेशन के लिए किया जा सकता है।
3. आपत्ति निरस्त करने का आरोप: किसान ने भू-अर्जन अधिकारी के समक्ष इस अधिग्रहण के खिलाफ आपत्ति (Objection) दर्ज कराई थी। आरोप है कि भू-अर्जन अधिकारी ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत (Principle of Natural Justice) का उल्लंघन करते हुए, किसान को सुने बिना ही उसकी आपत्ति को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट का कड़ा रुख
याचिकाकर्ता के वकील सुशोभित सिंह ने कोर्ट को बताया कि किसी भी भूमि स्वामी को अपनी आपत्ति रखने और सुने जाने का पूरा अधिकार है, जिसे भू-अर्जन अधिकारी ने दरकिनार कर दिया।
• कोर्ट का फैसला: बिलासपुर हाईकोर्ट ने इसे ‘विधि विरुद्ध’ मानते हुए रेलवे और भू-अर्जन अधिकारी को नोटिस जारी किया है।
• अधिकारों का उल्लंघन: हाईकोर्ट ने माना कि भू-स्वामी की आपत्ति को ‘बगैर सुनवाई निरस्त करना’ प्रशासनिक प्रक्रिया और न्यायिक सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है।
क्यों अहम है यह फैसला?
छत्तीसगढ़ में खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा डबल रेललाइन परियोजना और अन्य रेल परियोजनाओं के तहत बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण हो रहा है। किसानों का लगातार यह विरोध रहा है कि उन्हें उचित मुआवजा और पर्याप्त सुनवाई का मौका नहीं दिया जा रहा है। हाईकोर्ट का यह नोटिस प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश देता है कि विकास परियोजनाओं के नाम पर किसानों के कानूनी अधिकारों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।