बड़ी खबर: PM आवास 2.0 में छत्तीसगढ़ के निकाय सुस्त, केंद्र ने मांगे 50 हजार नाम पर राज्य सिर्फ 11 हजार ही भेज सका

केंद्र सरकार की फटकार के बाद अब राज्य में सर्वे में तेजी लाने के निर्देश, गरीबों को घर देने की योजना पर लटकी तलवार

रायपुर, छत्तीसगढ़। प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के दूसरे चरण (PM Awas 2.0) को लेकर छत्तीसगढ़ में एक बड़ी प्रशासनिक सुस्ती सामने आई है। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों (Urban Local Bodies) से 50 हजार नए जरूरतमंद लोगों के नाम मांगे थे, लेकिन राज्य सरकार केवल 11 हजार लोगों के नाम ही भेज सकी है। इस धीमी प्रगति पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को स्पष्टीकरण के लिए कहा है।

क्यों आई योजना में सुस्ती?

राज्य के नगरीय निकायों की ओर से लाभार्थियों के नाम भेजने की प्रक्रिया बेहद धीमी रही, जिससे योजना का क्रियान्वयन प्रभावित हुआ है।

लक्ष्य और उपलब्धि: केंद्र सरकार ने 50,000 नए शहरी गरीब परिवारों को पीएम आवास 2.0 के तहत शामिल करने का लक्ष्य दिया था। लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग (Urban Administration Department) के अधिकारी तय समय सीमा में सिर्फ 11,000 नाम ही भेज पाए।

दोषपूर्ण सर्वे: सूत्रों के अनुसार, कई नगरीय निकायों में पात्र लाभार्थियों के सर्वे का काम या तो शुरू ही नहीं हुआ था, या फिर सर्वे में दोष पाए गए।

राजनीतिक खींचतान: यह योजना अक्सर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजनीतिक खींचतान का शिकार बनती रही है, जिसका सीधा असर गरीबों को मिलने वाले आवास पर पड़ा है।

सरकार ने दिए तेजी लाने के निर्देश

केंद्र सरकार की फटकार और योजना में आ रही बाधाओं के बाद अब राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।

1. सर्वे में तेजी: सभी निकायों को बचे हुए 39,000 लाभार्थियों के नामों का सर्वे शीघ्रता से पूरा करने और उनकी सूची तैयार करने को कहा गया है।

2. मॉनिटरिंग: शहरी विकास विभाग ने जिला स्तर पर योजना की मॉनिटरिंग (निगरानी) बढ़ाने का फैसला किया है ताकि इस महत्वपूर्ण योजना में और देरी न हो।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह सुस्ती जारी रही, तो न केवल राज्य के गरीबों को अपने घर का सपना पूरा करने में देर होगी, बल्कि केंद्र से मिलने वाली बड़ी धनराशि भी राज्य के हाथ से निकल सकती है।

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