छत्तीसगढ़ के कांकेर में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गए तीन लोगों के परिजनों द्वारा फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया गया है। परिजनों का दावा है कि उनके परिजन नक्सली नहीं थे, बल्कि वे जंगल में तेंदू पत्ता चुनने गए थे। वहीं, पुलिस अधीक्षक ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है और किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है।
यहां कुछ बिंदु दिए गए हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए:
- परिजनों का दावा: परिजनों का कहना है कि उनके परिजन किसान थे और वे जंगल में तेंदू पत्ता चुनने गए थे। उनके पास कोई हथियार नहीं था और वे नक्सली नहीं थे।
- पुलिस का दावा: पुलिस का कहना है कि मारे गए लोग नक्सली थे और उनके पास हथियार थे। उन्होंने पुलिस पर हमला किया और पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उन्हें मार गिराया।
- सबूत: अभी तक इस मामले में कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला है। पुलिस ने मारे गए लोगों के पास से हथियार बरामद करने का दावा किया है, लेकिन परिजनों ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
- गवाह: इस मामले में कोई गवाह नहीं है। पुलिस का कहना है कि मुठभेड़ जंगल में हुई थी और कोई गवाह नहीं था।
- पूर्व के मामले: छत्तीसगढ़ में फर्जी एनकाउंटर के कई मामले सामने आ चुके हैं। 2011 में, छत्तीसगढ़ के बस्तर में पुलिस ने 17 लोगों को मार गिराया था, जिन्हें बाद में निर्दोष पाया गया था।
यह स्पष्ट नहीं है कि कांकेर में हुई मुठभेड़ फर्जी थी या नहीं।