सुकमा जिले का जगरगुंडा गांव कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। इसे “नक्सल टापू” भी कहा जाता था। 2 साल पहले यहां स्कूल खोला गया था। उससे पहले, छात्रों को 58 किलोमीटर दूर दोरनापाल में स्कूल जाना पड़ता था।
इस साल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। जगरगुंडा में 10वीं में 16 और 12वीं में 20 छात्र परीक्षा दे रहे हैं। जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर जगरगुंडा इलाके की संवेदनशीलता के कारण सड़क मार्ग से प्रश्न पत्र भेजा जाना संभव नहीं है। इसलिए, प्रश्न पत्रों को हेलीकॉप्टर से भेजा गया है।
यहाँ 2017 तक स्कूल नहीं था। 2018 में पहली बार 10वीं कक्षा का परीक्षा केंद्र स्थापित किया गया था। 2021 में 12वीं कक्षा का भी परीक्षा केंद्र स्थापित किया गया।इससे पहले, छात्रों को परीक्षा देने के लिए 58 किलोमीटर दूर दोरनापाल जाना पड़ता था। यह उनके लिए बहुत मुश्किल था।
इस साल भी जगरगुंडा में परीक्षा केंद्र खोला गया है। छात्रों को परीक्षा देने के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह उनके लिए बहुत राहत की बात है।
यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति में सुधार का प्रतीक है। जगरगुंडा में स्कूल और परीक्षा केंद्र खुलने से छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने में आसानी होगी। यह उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान करेगा।