Ayodhya : पूरे देश में रामनवमी की धूम है और इस खास अवसर पर अयोध्या के राम मंदिर में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। आज दोपहर के समय, राम लला की मूर्ति का ‘सूर्य तिलक’ 5.8 सेंटीमीटर की सूर्य किरण से किया गया।
यह एक अद्भुत घटना थी जिसमें विज्ञान और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला।
विज्ञान का अद्भुत प्रयोग:
रामलला का ‘सूर्य तिलक’ दर्पण और लेंस का उपयोग करके किया गया। 10 भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की।
वैज्ञानिकों ने एक विशेष ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया जिसमें चार दर्पण और चार लेंस शामिल थे। इस सिस्टम को मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थापित किया गया था।
सूर्य की किरणों को दर्पणों और लेंसों द्वारा अपवर्तित किया गया और उन्हें सटीक रूप से रामलला की मूर्ति के माथे पर केंद्रित किया गया।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल सूर्य का प्रकाश ही मूर्ति को स्पर्श करे, वैज्ञानिकों ने एक इन्फ्रारेड फिल्टर भी इस्तेमाल किया।
टीम का प्रयास:
इस अद्भुत कार्य को पूरा करने में वैज्ञानिकों की टीम ने अथक प्रयास किए। टीम में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रूड़की और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईएपी), बेंगलुरु के वैज्ञानिक शामिल थे।
उन्होंने सौर ऊर्जा ट्रैकिंग के सिद्धांतों का उपयोग करके मंदिर की तीसरी मंजिल से गर्भ गृह तक सूर्य की किरणों के सटीक संरेखण को प्राप्त किया।
यह रामनवमी का एक ऐतिहासिक क्षण था जब विज्ञान और आस्था का अद्भुत मेल देखने को मिला। यह दर्शाता है कि कैसे वैज्ञानिकों की कुशलता और भक्तों की श्रद्धा मिलकर कुछ अद्भुत कर सकती है।