6 साल की कृष्णा किशोरी व्यास इन दिनों राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में नानी बाई के मायरे की कथा सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। अपनी मधुर वाणी और भावपूर्ण भक्ति गीतों से यह मासूम बच्ची श्रोताओं का मन मोह ले रही है।
पहली कक्षा में पढ़ने वाली कृष्णा पहली बार कथा वाचन कर रही हैं। वह भगवान श्रीकृष्ण को अपना मामा और राधा को अपनी मामी मानती हैं।
बिना पढ़े तीन घंटे तक कथा वाचन
पहली कक्षा में पढ़ने वाली कृष्णा बिना पढ़े तीन घंटे तक कथा का वाचन कर लेती हैं। यह सुनकर लोग दंग रह जाते हैं। कथा में आने वाला पूरा चढ़ावा भी वह मंदिर में दान कर देती हैं।
कथा की प्रेरणा
कृष्णा के पिता महेश व्यास बताते हैं कि प्रसिद्ध राजस्थानी फिल्म सुपातर बीनणी के लेखक उनके दादाजी बनवारीलाल व्यास ने नानी बाई का मायरा अपनी अलग शैली में लिखा था। करीब तीन महीने पहले वे इसे गा रहे थे तो पास बैठी कृष्णा ने भी उसे अपने आप गाना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने हारमोनियम पर उसे अभ्यास करवाया।
दादाजी की रिकॉर्डिंग से सीखी कथा
फतेहपुर के वार्ड 25 निवासी कृष्णा ने नानी बाई के मायरे की कथा अपने दादा बनवारीलाल व्यास की रिकॉर्डिंग सुनकर सीखी है। वे लेखक और कथावाचक थे। उनकी कथाओं की रिकॉर्डिंग परिवार ने सहेज कर रखी है। कृष्णा के जन्म से 13 साल पहले दादा बनवारीलाल का निधन हो गया था।
साध्वी जीवनशैली
कृष्णा की दिनचर्या भी सात्विक और अन्य बच्चों से अलग हटकर है। मां विजयश्री बताती हैं कि कृष्णा मोबाइल, कार्टून सीरियल और फास्ट फूड से दूर रहती है। टीवी में केवल वह महादेव सीरियल ही देखती है। सुबह पांच बजे उठकर सूर्य को अर्घ्य देने और भगवान को भोग लगाने के बाद ही वह कुछ खाती है।
वृंदावन जाने की इच्छा
पिता ने बताया कि चार भाई-बहनों में सबसे छोटी कृष्णा किशोरी को वृंदावन जाने का बहुत चाव है। जब उसे पहली बार लेकर गए तो उसने कृष्ण राधा की मूर्ति देख उन्हें मामा और मामी कहकर संबोधित किया। तब से अब तक भी वह उन्हें इसी नाम से पुकारती है।
6 साल की कृष्णा किशोरी अपनी भक्ति, मधुर वाणी और ज्ञान से सभी को प्रभावित कर रही हैं। यह छोटी सी कथावाचक निश्चित रूप से भविष्य में और भी ऊंचाइयों को छुएगी।