PhD admission scam : संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर सरगुजा छत्तीसगढ़ में पी. एच-डी. प्रवेश प्रक्रिया में धांधली की गयी है जिसको लेकर अभ्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में आपत्ति दर्ज किये, लेकिन विश्वविद्यालय ने आपत्ति पर कोई ध्यान नहीं दिया। आखिर कार अभ्यार्थियों ने हाईकोर्ट का रुख किया और अभ्यर्थियों ने अपने वकील आनंद कुजूर, डॉ. जितेन्द्र किशोर मेहता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। याचिका क्रमांक WPC 5024/2024 के आधार पर दिनांक 07/10/3024 को प्रथम सुनवाई के पश्चात् हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को जवाब तलब किया है और जवाब तीन सप्ताह के भीतर माँगा है।
मामला इस प्रकार है याचिकाकर्ता मुकेश कुमार, अभिषेक कुमार गुप्ता, नंजू कुमारी ने बताया की संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय सरगुजा ,अम्बिकापुर छ.ग. में दिनांक 12/07/2023 के अधिसूचना के आधार पर पी-एच.डी. करने हेतु प्रवेश परीक्षा दिनांक 10/12/2023 को दिया था जिसका परिणाम 12/ 03/ 2024 को आया, लिखित परीक्षा में हिंदी विषय में मुकेश कुमार 65 अंक, नंजू कुमारी 52 अंक लाकर क्रमशः तृतीय एवं 13 वां स्थान प्राप्त किया। कॉमर्स विषय में अभिषेक कुमार गुप्ता लिखित परीक्षा में 69 अंक लाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
तत्पश्चात 19 जुलाई 2024 को विश्वविद्यालय परिसर पं. दीनदयाल उपाध्याय सभाकक्ष में आयोजित हुआ, जिसमें 30 अंकों के साक्षात्कार में Subject Knowledge and Research Methodology- 10 अंक Research Proposal- 10अंक, Research Competency-10 अंक के आधार पर हुआ। दिनांक 11/ 08/ 2024 को जारी चयन सूची में मुकेश कुमार एवं नंजू कुमारी का नाम हिंदी विषय में अभिषेक कुमार गुप्ता कॉमर्स विषय का भी चयन सूची में नाम नहीं है। लिखित में इनसे कम अंक लाने वाले अभ्यर्थी का चयन किया गया है। जो केवल और केवल साक्षात्कार को आधार बनाकर चयन किया गया है जो न्याय संगत नहीं है।
अभ्यर्थियों का कहना है की विश्वविद्यालय अपने अध्यादेश क्र. 42 का एवं भारत का राजपत्र क्र.544 दिनांक 7 नवम्बर 2022 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों सीधा उल्लंघन करके चयन सूची जारी किया जो नियमों के विपरीत है। उपर्युक्त अध्यादेश एवं राजपत्र के अनुसार Entrance test का 70% weightage और 30% weightage साक्षात्कार का देकर चयन किया जाना है लेकिन चयन केवल साक्षात्कार को आधार मानकर किया गया है। जो विश्वविद्यालय का मनमानी रवैया को दर्शाता है। लिखित परीक्षा में जो अभ्यर्थी 46,50,51,53 लाएं हैं उन्हें साक्षात्कार में अधिकतम अंक देकर चयन किया गया है।
साक्षात्कार के पश्चात् बिना अंक का लिस्ट दिनांक 11/08/2024 को जारी किया, आपत्ति करने पर 20 दिन पश्चात् 30/08/2024 को साक्षात्कार का अंक जारी करके मामले को लीपापोती करने का प्रयास किया गया है । साक्षात्कार में रिसर्च प्रपोजल जमा नहीं किया गया तो अंक किस आधार पर दिए गए। चयन सूची में प्रतीक्षा सूची जारी नहीं किया गया जो नियमों के विपरीत है। सेट / नेट क्वालीफाई अभ्यर्थियों एवं प्रवेश परीक्षा से चयनित अभ्यर्थियों का चयन का आधार केवल साक्षात्कार होना नियमों के खिलाफ है। यदि साक्षात्कार से ही चयन करना था तो लिखित परीक्षा नहीं लेना था।हिंदी विषय में 33 सीट के लिए आवेदन मंगाया गया था किन्तु 37 अभ्यर्थी का चयन किया गया है, कॉमर्स विषय में 30 सीट के लिए आवेदन मंगाया गया था केवल 13 का चयन किया गया सीट बढ़ाने, घटाने संबधित कोई अधिसूचना नहीं विश्वविद्यालय द्वारा नहीं दिया है जो विश्वविद्यालय के कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
अब देखना होगा की विश्वविद्यालय अब कोर्ट में क्या जवाब प्रस्तुत करता है। ऐसे ही धांधली 2012 में भी पी.एच-डी. कोर्स में बिना मान्यता के परीक्षा ले लिया था। अतः विश्व विद्यालय हमेशा सवालों के घेरे रहता है। पारदर्शिता से कार्य नहीं करने से क्षेत्र के विद्यार्थियों में आक्रोश है।