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अविवाहित बेटी की संपत्ति पर नहीं होगा दत्तक पिता का हक: हाईकोर्ट ने अपील खारिज की

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अविवाहित पुत्री की संपत्ति पर उसके दत्तक पिता का कोई अधिकार नहीं बनता। जस्टिस एन.के. व्यास की एकल पीठ ने रायगढ़ निवासी दत्तक पिता की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मृत अविवाहित पुत्री की संपत्ति का अधिकार केवल उसकी मां को मिलेगा, न कि दत्तक पिता को—even यदि वह नामिनी भी हो।

क्या है मामला?

रायगढ़ के पुसौर निवासी खितिभूषण पटेल ने अपने छोटे भाई पंचराम पटेल की बेटी ज्योति पटेल को दत्तक लिया था। पंचराम की 1999 में सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी, और पत्नी पहले ही ससुराल छोड़ चुकी थी। दत्तक लेने के बाद खितिभूषण ने बेटी की परवरिश की और ज्योति को पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली।

लेकिन 17 सितंबर 2014 को ज्योति की अविवाहित अवस्था में मृत्यु हो गई। दत्तक पिता ने दावा किया कि सभी बैंक खातों, बीमा पॉलिसियों में वह नामिनी थे, और इसलिए उन्हें ही संपत्ति का उत्तराधिकारी माना जाए। जब सिविल कोर्ट ने उनका दावा खारिज कर दिया, तब उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर की।

कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नामिनी होने का मतलब यह नहीं कि वह व्यक्ति संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी भी होगा। चूंकि मृतका अविवाहित महिला थी, इसलिए संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15 और 16 के तहत होगा।

कोर्ट ने कहा कि:

मां ही है कानूनी वारिस

कोर्ट ने अंतिम टिप्पणी में कहा कि मृत ज्योति की संपत्ति—चाहे वह बैंक, बीमा या नौकरी से संबंधित हो—का हक केवल उसकी मां को मिलेगा। दत्तक पिता का दावा इस आधार पर अस्वीकार्य है कि वह सिर्फ नामिनी हैं।

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