छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) ने परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने अब फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग शुरू कर दिया है। इस तकनीक के माध्यम से परीक्षाओं में होने वाली नकल और धांधली पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
कैसे काम करेगी AI तकनीक?
AI आधारित इस नई प्रणाली में परीक्षा केंद्र में बैठे अभ्यर्थी की तस्वीर को उसके ऑनलाइन आवेदन में अपलोड की गई तस्वीर से मिलान किया जाएगा। इस मिलान में 102 बिंदुओं का उपयोग किया जाएगा। अगर दोनों तस्वीरों में कोई अंतर पाया जाता है, तो परीक्षा केंद्र में ली गई तस्वीर को देशभर में पहले आयोजित हुई परीक्षाओं में शामिल लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों की तस्वीरों से भी मिलान किया जाएगा। इसके अलावा, आधार प्रमाणीकरण की व्यवस्था भी लागू की गई है।
क्यों हुई इस तकनीक की जरूरत?
सीजीपीएससी की 2021 की परीक्षा में भाई-भतीजावाद के आरोप लगने के बाद आयोग ने यह कदम उठाया है। इस मामले में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष और अन्य अधिकारियों के खिलाफ गड़बड़ी करने के आरोप में सीबीआई जांच चल रही है। इन घटनाओं के बाद आयोग ने परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े कदम उठाने का फैसला किया।
सफल प्रयोग
इस नई AI आधारित प्रणाली का पहला प्रयोग परिवहन विभाग की उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा में 16 केंद्रों पर किया गया था, जो सफल रहा। इस प्रयोग के सफल होने के बाद आयोग ने इस तकनीक को अन्य परीक्षाओं में भी लागू करने का निर्णय लिया है।
परीक्षा केंद्रों में कड़े सुरक्षा इंतजाम
इसके साथ ही, परीक्षा केंद्रों में सुरक्षा व्यवस्था को भी कड़ा कर दिया गया है। परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्रों के क्यूआर कोड की स्कैनिंग और बायोमीट्रिक डिवाइस से परीक्षार्थियों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। इन सभी उपायों के माध्यम से परीक्षाओं में नकल और धांधली को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।