मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद भारत का एक लंबे समय से चला आ रहा विवाद है। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसने इस विवाद को एक नया मोड़ दिया है।
यह विवाद इस तथ्य पर केंद्रित है कि क्या मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बनी थी, जिसे बाद में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में ध्वस्त कर दिया गया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस स्थान पर मूल रूप से एक मंदिर था और मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था। वे इस स्थान पर मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग करते हैं।
हाई कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि हिंदू पक्ष द्वारा दायर किए गए सिविल वाद पोषणीय हैं। इसका मतलब है कि अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी। यह फैसला मुस्लिम पक्ष के लिए एक बड़ा झटका है।
दोनों पक्षों की दलीलें
- हिंदू पक्ष: हिंदू पक्ष का कहना है कि ईदगाह का पूरा क्षेत्र भगवान कृष्ण का गर्भगृह था और मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया गया था। उनके पास कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं है जो यह साबित करे कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था।
- मुस्लिम पक्ष: मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1968 में दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था और 60 साल बाद इस समझौते को चुनौती देना गलत है। वे यह भी कहते हैं कि उपासना स्थल कानून, 1991 के अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति को बदला नहीं जा सकता है।
यह फैसला भारत में धार्मिक भावनाओं को और अधिक संवेदनशील बना सकता है। यह भी संभावना है कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।