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छत्तीसगढ़ शराब घोटाले पर डिप्टी सीएम अरुण साव का पलटवार, बोले- कांग्रेस गंभीर आरोपों से भाग रही है, जनता सब जानती है

रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जारी कार्रवाई के बीच प्रदेश के डिप्टी सीएम अरुण साव ने कांग्रेस के आरोपों पर तीखा जवाब दिया है। साव ने स्पष्ट कहा कि ईडी की जांच कोई नई बात नहीं है, यह प्रक्रिया भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते ही शुरू हो गई थी। कांग्रेस अब केवल भ्रम फैलाने और गंभीर आरोपों से बचने की रणनीति पर काम कर रही है।

“कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद, जांच प्रक्रिया पहले से जारी”

नवा रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए डिप्टी सीएम साव ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के बयान पूरी तरह से निराधार हैं। उन्होंने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की सच्चाई अब किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने बताया कि इस घोटाले में दो अलग-अलग काउंटर लगाकर अवैध रूप से शराब बेची जा रही थी, जिसकी जानकारी सार्वजनिक हो चुकी थी।
साव के अनुसार, ईडी उन्हीं लोगों पर कार्रवाई कर रही है, जिनके खिलाफ जांच एजेंसी के पास ठोस साक्ष्य और तथ्य मौजूद हैं।

“राजनीतिक बयानबाजी कांग्रेस की पुरानी आदत”

डिप्टी सीएम ने कहा कि कांग्रेस नेता केवल राजनीतिक आरोप लगा रहे हैं ताकि वे गंभीर अपराध के दोष से बच सकें। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की पुरानी आदत रही है—गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए उल्टे सीधे आरोप लगाना। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की जनता अब बहुत जागरूक है और सब कुछ समझती है।

शराब घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

छत्तीसगढ़ के इस बहुचर्चित शराब घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई 20 मई 2025 को हुई थी, जब एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की टीमों ने राज्यभर में छापेमारी की थी।
दुर्ग-भिलाई, महासमुंद, धमतरी और रायपुर समेत 20 से ज्यादा जगहों पर दबिश दी गई थी। अकेले दुर्ग-भिलाई में 22 स्थानों पर छापे मारे गए थे।

टीमें सुबह करीब 5 बजे चार गाड़ियों में भिलाई पहुंची थीं। महासमुंद जिले के सांकरा और बसना इलाकों में भी कार्रवाई हुई थी। यह छापेमारी विशेष रूप से उन लोगों पर केंद्रित थी जो पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी माने जाते हैं।

कवासी लखमा के करीबी के ठिकानों पर छापेमारी

इस कार्रवाई में एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम दुर्ग-भिलाई में शराब कारोबार से जुड़े कई कारोबारियों के घर और कार्यालयों पर पहुंची थी। भिलाई के आम्रपाली अपार्टमेंट में रहने वाले अशोक अग्रवाल के फेब्रिकेशन प्लांट और अन्य ठिकानों पर जांच हुई। अशोक अग्रवाल, पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के करीबी माने जाते हैं।
इन पर आरोप है कि उन्होंने लखमा के साथ मिलकर इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया।

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