रायपुर। छत्तीसगढ़ में नौकरी से निकाले गए बीएडधारी सहायक शिक्षकों ने अर्धनग्न होकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। पुरुष शिक्षकों ने आधे वस्त्र उतारकर अपनी पीड़ा और गुस्सा जाहिर किया। यह प्रदर्शन सरकार तक अपनी मांगें पहुंचाने और सेवा सुरक्षा एवं समायोजन की नीति लागू करने की अपील के लिए किया गया।
प्रदर्शनकारियों में 3,000 से अधिक शिक्षक, जिनमें आदिवासी महिला शिक्षिकाएं भी शामिल थीं, ने नेशनल हाईवे पर दंडवत प्रणाम करते हुए न्याय की गुहार लगाई। उनका कहना है कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का अहम योगदान है, फिर भी उनके साथ अपमानजनक व्यवहार हो रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाए:
- “क्या राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान का यह हश्र होना चाहिए?”
- “क्या सरकार हमारी वर्षों की सेवाओं और बलिदानों का सम्मान नहीं करेगी?”
उन्होंने सरकार से त्वरित हस्तक्षेप करते हुए उनकी सेवाओं की सुरक्षा और समायोजन की स्पष्ट नीति बनाने की मांग की।
कांग्रेस ने साधा निशाना, भाजपा पर आरोप
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार की आलोचना की। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी, और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे युवाओं के साथ अन्याय बताया। बघेल ने ट्वीट किया,
“स्वामी विवेकानंद की जयंती पर छत्तीसगढ़ के युवा दंडवत होकर सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार ‘युवा महोत्सव’ का ढोंग कर रही है।”

उन्होंने भाजपा पर बेरोजगार शिक्षकों को अन्य पदों पर समायोजित करने में विफल रहने का आरोप लगाया और युवाओं के साथ खड़े होने का संकल्प व्यक्त किया।
बीएडधारी शिक्षकों की मांगें:
- सेवा की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- समायोजन के लिए स्पष्ट और त्वरित नीति लाई जाए।
- वर्षों की सेवा का उचित सम्मान किया जाए।
यह प्रदर्शन न केवल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना, बल्कि राष्ट्रीय मीडिया का भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। शिक्षक अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और सरकार से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।