बालोद। जिले के ग्राम अरमूरकसा और अवारी की 40 से 50 महिलाएं गुरुवार को 20 किलोमीटर पैदल चलकर बालोद कलेक्ट्रेट पहुंचीं। इन महिलाओं ने पिछले छह महीनों से बंद पड़े मिलेट्स चिक्की उत्पादन केंद्र को पुनः चालू करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने मौके पर पुलिस बल की तैनाती की।
जानकारी के अनुसार, महिलाएं सुबह करीब 8 बजे अपने गांवों से रवाना हुईं और दोपहर लगभग 4 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचीं। पहुंचते ही उन्होंने गेट के सामने धरना शुरू कर दिया। पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया, जिसके बाद महिलाएं करीब एक घंटे तक गेट के सामने बैठी रहीं और कलेक्टर से मिलने की मांग करती रहीं।
धरना स्थल पर महिलाओं ने राज्य सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े के खिलाफ नारेबाजी की। उनका कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में ग्रामीण आजीविका मिशन (रिपा) के तहत ग्राम अरमूरकसा और अवारी में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (RIPA) की स्थापना की गई थी। इस पार्क में कोदो-कुटकी से बने चिक्की उत्पादन का कार्य शुरू हुआ था, जिससे स्थानीय महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार मिला था।
महिलाओं ने बताया कि चिक्की उत्पादन से उनकी आय में वृद्धि हुई थी और वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रही थीं। लेकिन वर्तमान सरकार आने के बाद पिछले छह महीनों से उत्पादन बंद पड़ा है, जिससे वे बेरोजगारी और आर्थिक संकट झेल रही हैं।
प्रदर्शन में शामिल एक महिला ने कहा : “हम रोजी-रोटी के लिए यह काम कर रहे थे। छह महीने से बंद होने के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है। सरकार ने आश्वासन तो दिया, पर काम अब तक शुरू नहीं हुआ।”
प्रदर्शन को देखते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई। देर शाम अधिकारियों ने महिलाओं से बातचीत की और उनकी मांगों का ज्ञापन प्राप्त किया। महिलाओं ने चेतावनी दी कि जब तक प्रशासन ठोस निर्णय लेकर उत्पादन केंद्र दोबारा शुरू नहीं करता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
अब सवाल यह है कि प्रशासन कब इन महिलाओं की आवाज सुनेगा और बंद पड़े मिलेट्स चिक्की उत्पादन केंद्र को फिर से चालू करने की दिशा में क्या कदम उठाएगा।