जगदलपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जारी अभियान को एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। उत्तरी बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में, 208 माओवादियों ने एक साथ हिंसा का रास्ता छोड़कर सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। सरेंडर करने वालों में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन का एक महत्वपूर्ण चेहरा, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) रूपेश भी शामिल है, जिस पर 1 करोड़ रुपये का भारी-भरकम इनाम घोषित था।
यह सामूहिक आत्मसमर्पण राज्य सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस के ‘लोन वर्राटू’ (घर वापस आओ) अभियान की अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है।
मुख्य बातें और आत्मसमर्पण की प्रक्रिया
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं, जो माओवादी संगठन के विभिन्न रैंकों का प्रतिनिधित्व करते थे।
• हथियारों का जखीरा: इन नक्सलियों ने 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है, जिनमें एके-47, इंसास, एसएलआर और थ्री नॉट थ्री राइफलें शामिल हैं।
• विशेष स्वागत: आत्मसमर्पण समारोह में माओवादियों का स्वागत संविधान की कॉपी और गुलाब का फूल देकर किया गया, जो उन्हें लोकतंत्र की मुख्यधारा में लौटने का संदेश देता है।
• रूपेश की अपील: Central Committee Member रूपेश को एक विशेष वाहन से कार्यक्रम स्थल तक लाया गया था। उन्होंने अपने बाकी बचे साथियों से भी हिंसा छोड़कर संविधान पर भरोसा करने और आत्मसमर्पण करने की अपील की है।
• दबाव का नतीजा: आत्मसमर्पण करने वाले कई माओवादियों ने बताया कि वे खोखली माओवादी विचारधारा, निर्दोष आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों और संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेदों से निराश होकर मुख्यधारा में लौटे हैं।
सरकार की पुनर्वास और आर्थिक सहायता योजना
छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए एक व्यापक नीति तैयार की है। इस नीति के तहत, सरेंडर करने वाले माओवादियों को एक नया जीवन शुरू करने में मदद दी जाएगी:
• तत्काल आर्थिक मदद: आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली को ₹50,000 की तत्काल सहायता राशि प्रदान की जाती है।
• मकान और जमीन: 5 लाख या उससे अधिक के इनामी नक्सली को शहरी क्षेत्र में 1,742 वर्ग फीट जमीन या ग्रामीण क्षेत्रों में एक हेक्टेयर कृषि भूमि आवंटित करने का प्रावधान है।
• आवास और आर्थिक सहयोग: सरेंडर करने वाले माओवादियों और नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए विशेष परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करीब तीन हजार आवास बनाए जा रहे हैं।
• हथियार सरेंडर प्रोत्साहन: आत्मसमर्पण किए गए हथियारों के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि दी जाती है (जैसे AK-47 के लिए ₹4 लाख तक)।
• तीन साल तक आर्थिक मदद: पुनर्वास नीति के तहत उन्हें तीन साल तक आर्थिक सहायता दिए जाने का भी प्रावधान है ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें और स्वरोजगार स्थापित कर सकें।