जगदलपुर । पहाड़ों और घने जंगलों के लिए मशहूर बस्तर इस वक्त बाढ़ जैसी आपदा का सामना कर रहा है। सोमवार रात से जारी मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक, बीते 24 घंटे में 217 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो पिछले 94 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। इससे पहले 1931 में इतनी बारिश हुई थी।
नदी-नाले उफान पर, गांवों का संपर्क टूटा
लगातार बारिश से जिले के नदी-नाले उफान पर हैं। सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में बाढ़ जैसे हालात हैं। जगदलपुर में गोरिया बाहर नाला उफान पर आने से सांसद निवास कलचा समेत कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। शहर के आधा दर्जन वार्ड पानी में डूब चुके हैं, कई घरों में पानी घुस गया है।
लोहंडीगुड़ा के मांदर गांव में हालात सबसे खराब हैं, जहां बाढ़ से 85 परिवार विस्थापित हुए हैं। इस बीच तीजा पर्व पर महिलाएं और बच्चे गोरिया बाहर नाले में पूजा सामग्री विसर्जन के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन बढ़ते जलस्तर के बीच वहां कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है।
राहत और बचाव कार्य
हालात बिगड़ने पर वायुसेना के हेलीकॉप्टर राहत कार्य में उतारे गए हैं। हेलीकॉप्टर की मदद से अब तक 5 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। वहीं SDRF टीम ने अब तक 15 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है। मुख्यमंत्री साय ने विदेश प्रवास से ही प्रशासन से हालात की जानकारी ली और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
बस्तर में दर्दनाक हादसा
बारिश और बाढ़ के बीच कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में एनएच-30 दरभा के पास बड़ा हादसा हुआ। बाढ़ के पानी में बहकर एक स्विफ्ट डिजायर कार डूब गई, जिसमें सवार तमिलनाडु के एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई। मृतकों में पति-पत्नी और दो बच्चे शामिल हैं। कार का चालक तैरकर बाहर निकल गया, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य तेज बहाव में फंस गए। एडिशनल एसपी महेश्वर नाग ने घटना की पुष्टि की है।