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जूठे पत्तल उठाने लगती है बोली, वर्षों से चली आ रही ये पुरानी परंपरा

Khandwa : भारत अपनी समृद्ध परंपराओं और अनोखी रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश के खंडवा में गणगौर पर्व के दौरान होने वाली एक परंपरा इसकी विशिष्टता को और भी दर्शाती है। 10 दिवसीय पूजन के समापन पर आयोजित भंडारे में, लोग जूठे पत्तल उठाने के लिए बोली लगाते हैं, जो कि सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा है।

यह परंपरा भले ही अजीब लग सकती है, लेकिन इसमें गहरी आस्था और भक्ति छिपी है। लोग मानते हैं कि जूठे पत्तल उठाने से उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोली लगाता है, उसका परिवार उस पंक्ति के जूठे पत्तल उठाने का सौभाग्य प्राप्त करता है। यह परंपरा सिर्फ जूठे पत्तल उठाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भाईचारा, परोपकार और सामाजिक जुड़ाव की भावना भी निहित है। बोली से प्राप्त धन का उपयोग अगले साल के भंडारे के आयोजन में किया जाता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा पिछले 100 सालों से भी अधिक समय से चली आ रही है। यह गणगौर पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और लोगों को जोड़ने का काम करता है।

सोमनाथ काले और सुनील जैन जैसे समाजसेवी इस परंपरा को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनका मानना है कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना ज़रूरी है।

खंडवा में जूठे पत्तल उठाने की अनोखी परंपरा सदियों पुरानी भक्ति, आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ने और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को याद दिलाने का काम करता है।

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