बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर बिलासपुर हाईकोर्ट से सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा निर्वाचन के खिलाफ दायर याचिका पर आज दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले में किसी भी समय अदालत का बड़ा और निर्णायक फैसला आ सकता है, जिस पर प्रदेश की राजनीतिक निगाहें टिकी हुई हैं।
क्या है मामला और याचिकाकर्ता कौन?
• याचिकाकर्ता: दुर्ग लोकसभा सांसद और भाजपा नेता विजय बघेल।
• याचिका का आधार: विजय बघेल ने आरोप लगाया है कि भूपेश बघेल ने विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया था।
• मांग: याचिका में मांग की गई है कि पाटन विधानसभा से भूपेश बघेल के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जाए।
विजय बघेल के मुख्य आरोप
याचिका में दावा किया गया है कि:
1. प्रचार समय का उल्लंघन: दूसरे चरण के मतदान के लिए 15 नवंबर 2023 की शाम को प्रचार समाप्त हो चुका था, लेकिन भूपेश बघेल ने इसके बाद भी 16 नवंबर 2023 को पाटन विधानसभा क्षेत्र में रैली और रोड शो का आयोजन किया।
2. सरकारी तंत्र का दुरुपयोग: आरोप है कि इस अवैध रैली में सरकारी कर्मचारी और पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
3. नियमों की अवहेलना: विजय बघेल का कहना है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए भूपेश बघेल ने जानबूझकर चुनाव नियमों की अवहेलना की, इसलिए उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
भूपेश बघेल का पक्ष
भूपेश बघेल की ओर से अदालत में 16 बिंदुओं पर जवाब पेश किया गया है। बघेल के वकीलों ने दलील दी है कि विजय बघेल द्वारा दायर की गई यह याचिका कानूनी रूप से चलने योग्य नहीं है।
फैसला सुरक्षित
आज इस हाई-प्रोफाइल मामले पर विस्तृत सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है।