बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित भारतमाला परियोजना के तहत हुए मुआवजा घोटाले मामले में शुक्रवार को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ी खबर सामने आई है। इस घोटाले में गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों—हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और केदार तिवारी—को कोर्ट से नियमित जमानत मिल गई है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि यह कोई अंतरिम राहत नहीं है, बल्कि यह याचिकाकर्ताओं का कानूनी अधिकार है। अदालत ने वकीलों की दलीलों और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर चारों आरोपियों को नियमित जमानत प्रदान की।
इस मामले में आरोपियों की ओर से वकील मनोज परांजपे और सरफराज खान ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट के समक्ष यह तर्क रखा कि आरोपियों के खिलाफ जमानत न देने जैसा कोई ठोस वैधानिक आधार नहीं है। कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार करते हुए चारों आरोपियों को राहत दी।
क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 546 किमी लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। इस परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक फोरलेन और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क का प्रस्ताव है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई, जिन्हें मुआवजा राशि प्रदान की जानी थी।
हालांकि, इस भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया। आरोप है कि अधिकारियों और भूमाफियाओं ने मिलकर जमीन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर और फर्जी दस्तावेज तैयार कर करोड़ों रुपये की मुआवजा राशि हड़प ली। इस घोटाले से सरकार को लगभग 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
ईओडब्ल्यू की जांच और अब तक की कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इसकी जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) को सौंपी थी। जांच में सामने आया कि कई राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर गलत तरीके से मुआवजा दिलवाया।
ईओडब्ल्यू ने अब तक हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और केदार तिवारी समेत कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन चार आरोपियों को अब कोर्ट से नियमित जमानत मिल चुकी है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है।
फरार हैं कई प्रमुख आरोपी, गिरफ्तारी वारंट जारी
इस घोटाले में शामिल अधिकारियों में पूर्व एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण और तीन पटवारी—जितेंद्र साहू, बसंती धृतलहरे और लेखराम देवांगन—शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अपराध दर्ज किया है। फिलहाल ये सभी आरोपी फरार हैं और कोर्ट की ओर से इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा चुका है।
निलंबन के समय निर्भय साहू जगदलपुर नगर निगम के आयुक्त के पद पर कार्यरत थे। घोटाले के उजागर होते ही मार्च में उन्हें निलंबित कर दिया गया था।