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छत्तीसगढ़ में देश का सबसे बड़ा स्थायी छठ घाट: बिलासपुर में 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु जुटेंगे, 7.5 एकड़ में फैला घाट दुल्हन की तरह सजा; तैयारियों के तहत 25 ट्रक मलबा हटाया गया!

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां देशभर में जोरों पर हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर का तोरवा छठ घाट इस बार फिर सुर्खियों में है। अरपा नदी के तट पर स्थित यह घाट अपनी भव्यता के कारण देश का सबसे बड़ा और व्यवस्थित स्थायी छठ घाट होने का गौरव रखता है।

आयोजन समिति के अनुसार, इस साल इस ऐतिहासिक घाट पर 50 हजार से अधिक छठव्रती और श्रद्धालु जुटेंगे, जिसके लिए प्रशासन और समिति ने व्यापक इंतजाम किए हैं।

प्रमुख आकर्षण और तैयारियां

बिलासपुर का यह छठ घाट लगभग 7.5 एकड़ (800 मीटर लंबा) क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह घाट अस्थाई घाटों (जैसे मुंबई का जुहू चौपाटी) की तुलना में अपनी स्थायी संरचना और सुविधाओं के लिए जाना जाता है।

सफाई अभियान: महापर्व को देखते हुए घाट की सफाई का वृहद अभियान चलाया गया। आयोजन समिति ने अब तक घाट से लगभग 25 ट्रक मलबा और कचरा हटाकर इसे पूरी तरह स्वच्छ कर दिया है।

भव्य साज-सज्जा: तोरवा घाट को रंग-बिरंगी लाइटों और झालरों से दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। घाट पर छठव्रतियों को अर्घ्य देने के लिए बेदी तैयार की गई हैं।

सुरक्षा और व्यवस्था: इतने बड़े जनसैलाब को देखते हुए सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। घाट पर स्थाई लाइटिंग, पार्किंग स्थल, सामुदायिक भवन और समीप में पुलिस चौकी जैसी सुविधाएं वर्षभर उपलब्ध रहती हैं। पर्व के दौरान ट्रैफिक पुलिस द्वारा रूट चार्ट भी जारी किया गया है।

सांस्कृतिक समागम: छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय-खाय’ से होगी। इस दौरान अरपा नदी के तट पर गंगा आरती की तर्ज पर महाआरती का भव्य आयोजन भी किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है।

बिलासपुर का यह स्थायी छठ घाट अब केवल पूर्वांचल के लोगों का नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जहाँ हर साल छठ महापर्व पूरे भक्तिभाव और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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