बुर्के में मतदान को लेकर मचा सियासी घमासान: BJP नेत्री माधवी लता ने बताया संविधान का अपमान

रायगढ़। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की फायरब्रांड महिला नेता और हैदराबाद लोकसभा सीट से उम्मीदवार रह चुकीं माधवी लता आज छत्तीसगढ़ के दौरे पर रायगढ़ पहुंचीं। उन्होंने रामलीला मैदान में आयोजित लोकमाता पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर जी की त्रि-शताब्दी जयंती समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर मीडिया से चर्चा करते हुए माधवी लता ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में चुनावों के दौरान समुदाय विशेष की महिलाओं द्वारा बुर्का पहनकर वोट देने के मुद्दे पर मचे सियासी घमासान को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने इसे संविधान का अपमान करार देते हुए विपक्षी दलों पर कड़ा प्रहार किया।

माधवी लता ने कहा, “मैं एक बात स्पष्ट करना चाहती हूं, ये लोग जो संविधान बचाने का नारा लगाते हैं, उनसे यह पूछना चाहिए कि क्या मुंह ढककर वोट देना संविधान में लिखा है? भाजपा से लड़ने का डर इनको संविधान तोड़ने पर मजबूर कर रहा है। जनता को यह समझने की जरूरत है कि जो लोग संविधान तोड़ सकते हैं, वे देश के नागरिकों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “बात केवल बुर्के की नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की है कि वोटिंग प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो। अगर मुंह ढककर वोट डालने की अनुमति है, तो क्या हम घूंघट पहनकर वोट डाल सकते हैं? यह जानना बेहद जरूरी है कि चेहरा ढकने वाला व्यक्ति महिला है, पुरुष है, या कोई विदेशी (बांग्लादेशी या पाकिस्तानी) आकर वोट दे रहा है।”

उन्होंने इस मुद्दे को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से जोड़ते हुए कहा, “ये लोग हिंदुओं, हिंदुत्व और भारत को कमजोर करने पर तुले हुए हैं। ऐसे लोगों को जल्द से जल्द देश से बाहर करना चाहिए ताकि भारत प्रगति कर सके।”

बांग्लादेश में जजिया कर पर क्या बोलीं माधवी लता?

बांग्लादेश में जजिया कर लागू होने के मौलाना के बयान पर उन्होंने कहा, “पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर जजिया कर लगाया गया था। ऐसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।” उन्होंने विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधते हुए पूछा, “राहुल गांधी इस पर चुप क्यों हैं? उनसे और प्रियंका गांधी वाड्रा व सोनिया गांधी से पूछना चाहिए कि वे इस पर अपनी राय क्यों नहीं रखते।”

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के धर्मांतरण के सवाल पर माधवी लता ने इसे गंभीर सामाजिक मुद्दा बताया। उन्होंने कहा, “आदिवासियों का लगातार धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की जा रही है। इसका एक ही जवाब है कि हम सभी को आगे बढ़कर आदिवासियों को अपनाना चाहिए, उन्हें गले लगाना चाहिए और उनके उत्थान के लिए काम करना चाहिए। फिर किसी की हिम्मत नहीं होगी कि हमारे आदिवासियों का धर्मांतरण करा सके।”

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