कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहाँ अधिकारियों ने बिना वास्तविक आवास निर्माण के सरकारी भवन की तस्वीरें अपलोड कर पूरी राशि का आहरण कर लिया। मामला उजागर होने के बाद अब अधिकारी लीपापोती में जुटे हैं।
यह मामला जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा के ग्राम पंचायत लाखाटोला का है। वर्ष 2019 में बिन्दा बाई पिता लक्षमण के नाम से आवास स्वीकृत हुआ था। इस आवास के लिए पहली किस्त के तौर पर 25 हजार रुपये जारी किए गए थे, और हितग्राही को आवास निर्माण का आदेश दिया गया था। लेकिन हितग्राही ने गांव में आवास नहीं बनवाया और अपने दामाद के गांव पलायन कर लिया।
फर्जीवाड़े की पुष्टि:
जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने फर्जी तरीके से सरकारी भवन की तस्वीरें अपलोड कर पूरी राशि, कुल एक लाख तीस हजार रुपये, हितग्राही के बैंक खाते में जमा करा दी। ग्राम पंचायत ने इसका विरोध किया और अन्य पंचायत में आवास बनाने की अनुमति नहीं दी गई। सरपंच पति ने भी पुष्टि की कि हितग्राही ने गांव में कोई आवास नहीं बनवाया और वर्तमान में अपने दामाद के घर रह रही है।
नियमों की अवहेलना:
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मनरेगा योजना के तहत 95 दिन की मजदूरी प्रदान की जाती है। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने बताया कि हितग्राही ने स्वीकृत स्थान पर आवास निर्माण नहीं कराया और इस बारे में कोई सूचना भी नहीं दी। इस वजह से मस्टररोल जारी नहीं किया गया, जिससे स्पष्ट है कि अधिकारी और हितग्राही के बीच साठगांठ कर राशि का आहरण किया गया है। इसके अलावा, ब्लॉक समन्वयक ने आवास की जगह जनपद पंचायत परिसर के सभा कक्ष की तस्वीर अपलोड कर अंतिम राशि जारी कर दी।
सीईओ का बयान:
जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा कि महिला हितग्राही ने आवेदन किया था कि गांव में कोई नहीं रहता और वह अपने दामाद के गांव में घर बनवाना चाहती हैं। ग्रामसभा ने उनका प्रस्ताव पारित किया था, जिसके बाद आवास निर्माण की अनुमति दी गई। सीईओ ने यह भी कहा कि प्रावधान के अनुसार, हितग्राही जहां भी पात्र हैं, वहां आवास निर्माण करवा सकते हैं।
इस मामले में आगे की जांच जारी है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।