अक्षय तृतीया पर तांबे-पीतल के बर्तनों की बढ़ी डिमांड, स्वास्थ्य लाभ और आस्था का अनूठा संगम

रायपुर: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर सोने-चांदी के साथ-साथ तांबे और पीतल के बर्तनों की भी खासी डिमांड देखने को मिल रही है। पुराणों के अनुसार, इन धातुओं से बने बर्तनों में भोजन करने से सेहत अच्छी रहती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। तांबे के बर्तन में जल पीने से आरोग्य लाभ भी मिलता है, जिसके चलते कोरोना के बाद से इन बर्तनों का क्रेज फिर से बढ़ गया है।

स्वास्थ्य के लिए वरदान

बीते 3-4 सालों में बड़ी संख्या में लोग तांबे और पीतल के बर्तन में रखा पानी पीना पसंद कर रहे हैं। राजधानी रायपुर के एक बर्तन दुकानदार के मुताबिक, “अक्षय तृतीया पर लोग अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए तांबे, पीतल और चांदी के बर्तन खरीदते हैं। इनका न सिर्फ धार्मिक महत्व है, बल्कि ये सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं।”

तांबे और पीतल के फायदे

  • तांबे के बर्तन:
  • रोगाणुरोधी गुणों के कारण पानी को शुद्ध करता है।
  • पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  • वजन घटाने और त्वचा के लिए फायदेमंद।
  • पीतल के बर्तन:
  • भोजन को समान रूप से पकाता है और स्वाद बढ़ाता है।
  • हड्डियों और जोड़ों के दर्द में आराम देता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर।

बाजार में बढ़ता ट्रेंड

कोरोना के बाद लोगों ने अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, जिसके चलते तांबे और पीतल के बर्तनों की बिक्री दोगुनी हो गई है। बड़ी कंपनियों ने भी तांबे की बोतलें और किचनवेयर लॉन्च किए हैं, ताकि लोग घर और ऑफिस में इनका उपयोग कर सकें।

शुभ उपहार के रूप में भी लोकप्रिय

शादी-विवाह जैसे अवसरों पर भी तांबे और पीतल के बर्तन गिफ्ट में दिए जाते हैं। बेटियों को विदा करते समय पीतल की थाली और तांबे के जग देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो अब भी प्रचलित है।

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